Germany: जर्मन चांसलर द्वारा शुक्रवार को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की ओर से दी गई टिप्पणी का जिक्र किया था।ओल्फ शोल्ज ने तथाकथित ‘यूरोपीय मानसिकता’ में बदलाव का सुझाव देते हुए कहा कि जयशंकर की इस बारे में की गई टिप्पणी में दम है।
शोल्ज ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री का यह उद्धरण इस वर्ष की म्यूनिख सुरक्षा रिपोर्ट में शामिल है। उनके पास एक तथ्य है कि यह केवल यूरोप की समस्या नहीं होगी यदि मजबूत कानून अंतरराष्ट्रीय संबंधों में खुद को स्थापित करे।
जयशंकर ने पिछले साल स्लोवाकिया में ग्लोबसेक ब्रातिस्लावा फोरम के 17वें संस्करण के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के रुख पर एक सवाल का बेहद तंजपूर्ण जवाब दिया था।

Germany: महज साझा मूल्यों पर जोर देना ही काफी नहीं
Germany: जर्मन चांसलर ने कहा कि महज साझा मूल्यों पर जोर देना ही काफी नहीं है।संयुक्त कार्रवाई के लिए एक बुनियादी शर्त के रूप में इन देशों के हितों और चिंताओं को दूर करना होगा।इसीलिए मेरे लिए यह इतना महत्वपूर्ण था कि पिछले जून में जी सेवन शिखर सम्मेलन के दौरान बातचीत की मेज पर केवल एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के प्रतिनिधि ही नहीं थे।
Germany: उन्होंने कहा कि आंशिक रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध, लगातार होता जलवायु परिवर्तन और कोवड-19 के प्रभाव की वजह से ये चुनौतियां सामने आई हैं।पिछले साल ब्रातिस्लावा फोरम के दौरान जयशंकर से पूछा गया था कि उन्हें क्यों लगता है कि यूक्रेन के लिए दूसरों की मदद नहीं करने पर चीन के साथ समस्या होने पर कोई नई दिल्ली की मदद करेगा।
इस बाबत एस जयशंकर ने कहा था कि कहीं न कहीं यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि अगर यह तुम हो, तो यह तुम्हारा है, अगर यह मैं हूं तो यह हमारा है। मुझे इसका प्रतिबिंब दिखाई देता है।
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