Drug Trafficking तालिबान के आय का सबसे बड़ा स्त्रोत है, वहीं Mexico भी इस क्षेत्र में आगे है। वैश्विक पटल पर (Afghanistan) और (Mexico) दोनों के मध्य कोई समानता न दिखता हो, लेकिन तालिबान और मैक्सिकन कार्टेल में एक समानता है। वह यह है कि दोनों आर्थिक रूप से खुद को मजबूत बनाने के लिए मादक पदार्थों की तस्करी करते हैं और दोनों ही अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने, सत्ता और विस्तार के लिए अत्यधिक हिंसा करते हैं। जून में मेक्सिको में चुनाव से पहले कई उम्मीदवारों को कार्टेल द्वारा धमकाया गया और मार डाला गया और खुले तौर पर वोट खरीदे गए।
95% अफीम की खेती पर अफगानिस्तान, मैक्सिको और म्यांमार का नियंत्रण
दुनिया की लगभग 95 प्रतिशत अफीम (Opium) की खेती अफगानिस्तान, मैक्सिको और म्यांमार में की जाती है, जिसमें हेरोइन अफीम और अन्य तरह के नशीले पदार्थों का उत्पादन और तस्करी शामिल हैं। मेक्सिको के ड्रग कार्टेल्स को सरकारी अधिकारियों का समर्थन प्राप्त है। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के रिपोर्ट्स के अनुसार मेक्सिको के ड्रग कार्टेल्स तालिबान के संपर्क में हैं। 2009 में अमेरिकी कांग्रेस (US Congress) की सुनवाई के दौरान विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि उस वर्ष अफगानिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 50% अवैध ड्रग्स व्यापार से आय अर्जित हुआ था।
नशीले पदार्थों को लेकर तालिबान का हमेशा से अस्पष्ट रवैया रहा है। अफीम के सेवन पर प्रतिबंध है, लेकिन अफीम की खेती और बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। इस साल की शुरुआत में जारी अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में अधिकांश अफीम का उत्पादन तालिबान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में या उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में हो रहा था। तालिबान ने इस व्यापार से काफी आय अर्जित किया।
कई देशों तक फैला है नशे का व्यापार
अप्रैल में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक रिपोर्ट में तालिबान द्वारा अफीम खेती और बिक्री के बारे में विस्तार से बताया गया है। पिछले साल प्रकाशित यूएनओडीसी (UNODC) रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में सबसे अधिक अफीम उत्पादन होता है। अफीम उत्पादन का लगभग 84 प्रतिशत यहां होता है। यह पड़ोसी देशों, यूरोप और मध्य देशों के साथ ही पूर्व, दक्षिण एशिया, अफ्रीका और कुछ हद तक उत्तरी अमेरिका और कनाडा में भी इसकी आपूर्ति करता है।
मई 2020 की एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) ने अनुमान लगाया था कि तालिबान का वार्षिक संयुक्त राजस्व 300 मिलियन डॉलर से लेकर 1.5 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष है। तालिबान के धन का प्राथमिक स्रोत नशीली दवाओं का व्यापार रहा है। हेरोइन की खेती और उत्पादन ने कई वर्षों से तालिबान को राजस्व का बड़ा हिस्सा दिया, वहीं अफगानिस्तान में नया दवा उद्योग मेथामफेटामाइन महत्वपूर्ण लाभ दे रहा है ।
क्या दोनों एक साथ कर सकते हैं काम
इंडियन एक्सप्रेस के खबर के मुकाबिक अंतरराष्ट्रीय नशीले पदार्थों के कारोबार ने मेक्सिको में कई कार्टेल्स पैदा किए हैं। सिनालोआ कार्टेल (sinaloa cartel) वर्तमान में सबसे तेजी से बढ़ने वाला कार्टेल है और ये उस भूमि को नियंत्रण में ले लेता है, जहां अफीम की अच्छी खेती होती है। यह तालिबान के लिए प्रतिद्वंद्वी हो सकता है, लेकिन कार्टेल और तालिबान दोनों ही इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और कहीं ना कहीं आपस में जुड़ें हैं।
यूएस ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (US Drug Enforcement Administration) के अनुसार, सिनोलोआ कार्टेल का अमेरिकी हेरोइन बाजार पर लगभग एकाधिकार है। पेंटागन का मानना है कि यह यूरोपीय संघ और पश्चिम अफ्रीकी राज्यों से लेकर भारत, चीन और रूस तक दुनिया के 60 प्रतिशत देशों में सक्रिय है। फिलहाल, मैक्सिकन कार्टेल ज्यादातर दक्षिण अमेरिका निर्मित कोकीन और सिंथेटिक दवाओं की मांग को पूरा कर रहा है। हालांकि ये पहली बार नहीं होगा कि दो संगठन, जो प्रतिस्पर्धी हैं और अपने लाभ और राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए एक साथ आए।
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