Biporjoy Cyclone:अरब सागर और उसके आसपास रहने वाले लोगों की दिक्कतें बढ़ सकतीं हैं।यहां साल 2023 के पहले प्री मॉनसून तूफान की गति हर दिन तेज होती जा रही है।मौसम विभाग के अनुसार समुद्र में बना डीप-डिप्रेशन चक्रवात में बदल चुका है और तेजी से आगे बढ़ रहा है।
ताजा जानकारी के अनुसार 08 जून को सुबह साढ़े पांच बजे चक्रवात बिपरजॉय पूर्व-मध्य अरब सागर के ऊपर लगभग 13.9N और 66.0E पर केंद्रित रहा। गोवा से लगभग 860 किमी पश्चिम-दक्षिण पश्चिम और मुंबई से 910 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।मौसम विभाग के मुताबिक, ये उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ते हुए तेज होगा।
आने वाले 3 दिनों में ये बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में बदल सकता है। इसके लिए आईएमडी ने पहले ही 8 से 10 जून तक समुद्र में बहुत ऊंची लहरें उठने की संभावना जताई है।
इस सिस्टम के 12 जून तक एक बहुत गंभीर चक्रवात की ताकत को बनाए रखने का पूर्वानुमान है। इसका सबसे ज्यादा असर गुजरात के समुद्री किनारे के शहरों में देखने को मिलेगा।
Biporjoy Cyclone: तूफान इन जगहों से बढ़ा आगे
Biporjoy Cyclone:आईएमडी से प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार चक्रवात कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय क्षेत्रों से बहुत आगे निकल चुका है। तटीय इलाकों में कुछ तेज हवाएं चलेंगी और कुछ हिस्सों में भारी बारिश होगी। चक्रवात का लैंडफॉल पाकिस्तान में होने की आशंका है।
Biporjoy Cyclone: इन देशों पर भी पड़ेगा असर
Biporjoy Cyclone:मौसम विभाग के अनुसार भारत, ओमान, ईरान, पाकिस्तान सहित अरब सागेर से सटे देशों पर भी इसका असर पड़ सकता है।इस सिस्टम का अस्थायी ट्रैक उत्तर दिशा में होगा।हालांकि कई बार तूफान पूर्वानुमानित ट्रैक और तीव्रता को गलत साबित कर देते हैं।मौसम विभाग ने समुद्री किनारे वाले शहरों में अलर्ट जारी किया गया हे। समुद्र में ऊंची लहरे उठने की भी आशंका जताई है।स्थानीय प्रशासन को भी अलर्ट जारी किया गया है।
Biporjoy Cyclone: ‘बिपारजॉय’ नाम का अर्थ और किसने दिया ये नाम रखने का सुझाव
गौरतलब है कि अरब सागर में साल के पहले प्री मानसून तूफान का नाम ‘बिपारजॉय’ रखने का सुझाव बांग्लादेश ने दिया है। जानकारी के अनुसार बिपारजॉय का अर्थ है ‘विपत्ति’ या ‘आपदा’ (biporjoy disaster)। कथित तौर पर, इस नाम को 2020 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) देशों ने अपनाया था। इसमें बंगाल की खाड़ी और अरब सागर सहित उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर बनने वाले सभी उष्णकटिबंधीय चक्रवात भी शामिल हैं, क्योंकि क्षेत्रीय नियमों के आधार पर चक्रवातों का नाम रखा जाता है।
मालूम हो कि WMO और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) के सदस्य देशों में चक्रवात के नामकरण की प्रणाली है। WMO के अनुसार, अटलांटिक और दक्षिणी गोलार्ध (हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत) में, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को वर्णानुक्रम में नाम मिलते हैं। इनके नाम महिलाओं और पुरुषों के नाम पर रखे जाते हैं, जबकि उत्तरी हिंद महासागर के देशों में चक्रवात के नामों को वर्णानुक्रम में सूचीबद्ध किया जाता है और ये लिंग-तटस्थ होते हैं।
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