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Ganga Saptami 2023: पतित पावनी मां गंगा के जन्मोत्सव पर जानिए...
विष्णु पुराण में लिखा है कि गंगा का नाम लेने, सुनने, उसे देखने, उसका जल पीने,स्पर्श करने, उसमें स्नान करने तथा सौ योजन (कोस) से भी गंगा नाम का उच्चारण करने मात्र से मनुष्य के तीन जन्मों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं।
Holi 2023: होलाष्टक आरंभ, इस दौरान क्या करें और किन बातों...
Holi 2023: होलाष्टक आरंभ, इस दौरान क्या करें और किन बातों का रखें ध्यान, जानिये यहां ?
Mahashivratri 2023: भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह की अनकही...
Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में सबसे शुभ त्योहारों में से एक है। यह त्योहार शिव और शक्ति के मिलन का स्मरण कराता है। फाल्गुन महीने में महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है।
Chandra Jayanti के मौके पर जानिए, क्यों चंद्र देव को महादेव...
Chandra Jayanti के मौके पर जानिए, क्यों चंद्र देव को महादेव ने अपने मस्त्क पर दिया स्थान?
February Vrat: फरवरी 2023 में एकादशी से लेकर होलाष्टक तक कौन-कौन...
February Vrat: फरवरी 2023 में एकादशी से लेकर होलाष्टक तक कौन-कौन से व्रत होंगे, पूरी जानकारी पढ़िये यहां ?
Basant Panchami 2023 के मौके पर जरूर करें इस प्रार्थना का...
हमारे शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु और भगवान शिव के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती को इसी दिन प्रकट किया था। बसंत पंचमी सरस्वती मां के जन्मदिन को रूप में मनाया जाता है।ऐसे में इस दिन प्रात: काल अपने सभी कार्यों को पूरा करने के बाद देवी की पूजा विधि-विधान से करें।
भगवान शिव की असीप कृपा पाना चाहते हैं तो करें ये...
सोमवार - इस दिन प्रदोष व्रत रखने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा खराब है, तो उसे इस दिन व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करना चाहिए। उ
ब्रह्म योग के बीच मनाई जा रही Kaal Bhairav Jayanti, जानें...
खासतौर से शिव भक्तों के लिए काल भैरव जंयती का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है।क्योंकि आज ब्रह्म योग बन रहा है। इसके साथ ही वृश्चिक संक्रांति भी है। आज ही सूर्य तुला से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।ऐसे में ये बेहद शुभ संयोग है।
Karwa Chauth 2022: जानिए सुहागिनों को आखिर क्यों सरगी में दी...
बहू अपनी सास को तोहफे देकर उनसे न केवल आशीर्वाद की कमाना करती है बल्कि उनके बीच का प्यार भी बना रहा रहे ऐसी दुआएं भी मांगती है।
शारदीय Navratri 2022 पांचवे दिन भक्तों ने की देवी स्कंदमाता की...
चार भुजा धारिणी माता स्कंदमाता के एक दाहिनी भुजा में कमल पुष्प है, जबकि दूसरी भुजा से माता गोद में बैठे भगवान कार्तिकेय के बाल रूप को संभाल रही हैं। वहीं पहले बाएं भुजा में भी एक कमल पुष्प है, तो दूसरी भुजा वरमुद्रा में हैं।