प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी सोमवार 14 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली (Bali) शहर पहुंच गए हैं. इस वर्ष G-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 15-16 नवंबर 2022 को बाली में किया जा रहा है, जिसमें शामिल होने के लिए पीएम मोदी बाली पहुंचे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 14 से 16 नवंबर तक बाली में रहेंगे और अपने करीब 45 घंटे के बाली प्रवास के दौरान लगभग 20 कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे.
इस दौरान भारतीय प्रधानमंत्री दुनिया के दिग्गज 20 देशों के समूह G-20 के प्रमुखों के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के अलावा प्रधानमंत्री सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले 10 देशों के प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय मुलाकात भी करेंगे, जिनमें बहुपक्षीय व द्विपक्षीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी. इस साल के शिखर सम्मेलन में जो कोरोना महामारी के बाद आयोजित किया जा रहा है कि थीम है “एक साथ उबरो, मजबूत बनो.” “Recover Together, Recover Stronger.”
क्या कहा शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष ने?
2022 के शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो ने आशा व्यक्त कि की सभा दुनिया की कुछ सबसे बड़ी शक्तियों को अपने मतभेदों को भुलाने का अवसर प्रदान करेगी ताकि COVID-19 के चलते उत्पन्न हुए स्वास्थ्य जोखिमों के साथ-साथ आर्थिक मंदी की वैश्विक चुनौतियों और सतत विकास जैसी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सके.
लेकिन यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के साथ-साथ ऊर्जा और खाद्य आपूर्ति संकट ने इसे और बढ़ा दिया है, जिसने G-20 की रणनीतियों पर गहरा असर डाला है. इसके अलावा चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव भी एक चिंता का विषय है. विडोडो ने आगे कहा कि “G-20 का मतलब एक राजनीतिक मंच नहीं है.” “यह अर्थशास्त्र और विकास के बारे में है.” – “The G-20 is not meant to be a political forum,” “It’s meant to be about economics and development.”
G-20 क्या है?
20 का समूह, या G-20, 19 देशों और यूरोपीय संघ का एक संगठन है. इसके प्रमुख नेता वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हर वर्ष एक बार इकट्ठा होते है. इसके साथ ही, G-20 दुनिया के कुल आर्थिक उत्पादन में 80 फीसदी से अधिक, कुल आबादी का 60 फीसदी और वैश्विक व्यापार के 75 फीसदी हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है.
1999 में अंतरराष्ट्रीय ऋण संकट के जवाब में G-7 के बड़े आकार के रूप में G-20 का गठन किया गया था. शुरूआत में इसका प्रमुख उद्देश्य अपने सदस्यों के वित्त मंत्रियों के वार्षिक शिखर सम्मेलन और 2008 के बाद से प्रमुखों के बीच चर्चा के माध्यम से वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है. G-20 की अध्यक्षता और मेजबानी के कर्तव्य प्रत्येक वर्ष सदस्य देशों के बीच बदलता रहता है.
इस वर्ष के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
2022 का G-20 शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया वैश्विक मंदी की ओर बढ़ रही है. देशों के केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी कर रहे हैं, लेकिन कीमतें कोरोना महामारी के स्तर पर लौटने का नाम नहीं ले रही हैं.
विश्व बैंक की रिपोर्ट है कि इन बढ़ोतरी (ब्याज दरों में), वित्तीय बाजार के तनाव के साथ मिलकर, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (Global GDP) की वृद्धि दर अगले साल 0.5 फीसदी तक धीमी हो सकती है, जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर कर देगी और विकासशील देशों में गरीबी को खत्म करने के प्रयासों को भी काफी धीमा कर देगी. COVID-19 के चलते उत्पन्न हो रही समस्याओं, विशेष रूप से चीन में, ने अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं (Supply Chains) को भी प्रभावित किया है – जिससे व्यापार में अड़चनें आ रही हैं और वैश्विक आर्थिक गतिविधि में बाधा आ रही है.
G-20 की अपनी अध्यक्षता के रूप में, इंडोनेशिया ने एजेंडे में अपनी तीन स्पष्ट प्राथमिकताएं भी निर्धारित की हैं, जिनमें – वैश्विक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एक समावेशी डिजिटल अर्थव्यवस्था परिवर्तन सुनिश्चित करना और स्थायी ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा देना.
G-20 को लेकर क्या है भारत का एजेंडा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाली जाने से पहले हुई विदेश मंत्रालय की पत्रकारक वार्ता में विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने रविवा को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई वैश्विक नेताओं से मुलाकात करेंगे और उनके साथ भारत के बदलते G-20 लक्ष्यों पर चर्चा करेंगे. क्वात्रा के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, डिजिटल परिवर्तन और स्वास्थ्य जैसे तीन महत्वपूर्ण सत्रों में भाग लेंगे. इसके अलावा वह और अन्य विश्व नेता वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति, ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि, स्वास्थ्य डिजिटल परिवर्तन सहित कई अन्य ज्वलंत विषयों पर व्यापक चर्चा करेंगे.
यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 1 दिसंबर 2022 से अगले साल 30 नवंबर 2023 तक G-20 समूह की अध्यक्षता भी करेगा.
भारत के लिए चुनौतियां
1 दिसंबर से भारत दुनिया के एक शक्तिशाली संगठन G-20 की अध्यक्षता संभाल रहा है. लेकिन भारत के सामने कई सारी बाधाएं भी हैं, इनमें मुख्य तौर पर समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और तकनीक सक्षम विकास (Technology Enabled Development), जलवायु वित्त पोषण, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा आदि शामिल है. ये सभी लक्ष्य भारत के G-20 लक्ष्यों में शामिल हैं, लेकिन इन्हें पूरा करना भारत के लिए एक कठिन कार्य होने जा रहा है.
पिछले कुछ महीनों से खासकर रूस – युक्रेन युद्ध के बाद से G-20 की प्रतिष्ठा में भी कमी आई है. वैश्विक स्तर पर देशों के बीच खराब होते संबंध इस बात की ओर लगातार इशारा कर रहे हैं कि सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. पश्चिम देशों (अमेरिका, EU और इनके सहयोगी देश) और रूस ने किसी भी बात पर सहमत होने से इंकार कर दिया है; यहां तक कि उन्होंने एक साथ बैठकर अपनी समस्याओं के बारे में बात करने का भी इंकार कर दिया है. इस प्रकार, भारत के पास असहमति को सुलझाने और सामने से नेतृत्व करने का जटिल काम है.
वो प्रमुख बैठकें जिनपर है दुनिया की निगाहें?
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आज दोपहर बाली में हुई बैठक को लेकर दुनिया की निगाहें थी. अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने के बाद से ये दोनॆ नेताओं की पहली आमने-सामने बैठक थी. पिछले दिनों हुए अमेरिकी मध्यावधि चुनावों के परिणामों ने राष्ट्रपति बाइडन को एक बड़ी सियासी बढ़त दी है.
बाइडन ने सम्मेलन से पहले कहा था कि वह अमेरिका-चीन संबंधों में लाल रेखाएं खीचनें का काम करेंगे जो प्रतिस्पर्धा और सह-अस्तित्व (Co-Existence) को सक्षम बनाती हैं. बाइडन से उम्मीद है कि वो चीन के ताइवान पर आक्रमणकारी रवैये और दक्षिण चीन सागर के नेविगेशन को प्रतिबंधित करने के प्रयासों के खिलाफ अपने चीनी समकक्ष को चेतावनी भी देंगे.
कौन कौन ले रहें है हिस्सा?
इस वर्ष के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए नए ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक भी बाली की यात्रा कर रहे हैं. सुनक ने शनिवार को एक बयान में कहा, “हम पुतिन के शासन का आह्वान करेंगे, और G-20 जैसे मंचों का प्रतिनिधित्व करने वाले अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संप्रभुता (Sovereignty) के सम्मान के लिए उनकी पूरी अवमानना करेंगे.”
इसके अतिरिक्त, बाइडेन और सुनक की बाली में पहली बार आमने-सामने मुलाकात होगी. अमेरिकी अधिकारियों ने 2023 में गुड फ्राइडे समझौते की 25वीं वर्षगांठ से पहले उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल पर आम सहमति तक पहुंचने के लिए दोनों पक्षों पर दबाव बढ़ा दिया है जिसको लेकर भी बातचीत की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं रूस के राष्ट्रपति पुतिन इस बार G-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं, हालांकि रूस का प्रतिनिधित्व उनके अनुभवी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे.
G-20 में कौन-कौन से देश शामिल?
G-20 देश G-20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी संगठन है. इसमें अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं.