TV Channels के लिए नई Guidelines जारी, अब रोज 30 मिनट तक दिखाने होंगे राष्ट्रीय महत्व से जुड़े मुद्दे, जानिए चैनलों के लिए और क्या बदला

इन नई गाइडलाइंस में हरेक ब्रॉडकास्टर या चैनल (TV Channels) को रोजाना 30 मिनट तक राष्ट्रीय महत्व (National Interest) या हित और जनसेवा से जुड़े हुए मुद्दों पर कंटेट देना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसको लेकर खासी चर्चा हो रही है.

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TV Channels के लिए नई Guidelines जारी, अब रोज 30 मिनट तक दिखाने होंगे राष्ट्रीय महत्व से जुड़े मुद्दे, जानिए चैनलों के लिए और क्या बदला - APN News

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार 10 नवंबर 2022 को 11 साल के बाद भारत में टेलीविजन चैनलों (TV Channels) के अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए दिशानिर्देश (Guidelines), 2022 को मंजूरी दे दी है. सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने बताया कि यह बदलाव तीन चीजों आसान मंजूरी, कारोबारी प्रक्रिया को आसान बनाना और सरलीकरण और तर्कसंगत बनाने को ध्यान में रखकर किया गया है.

मंत्रालय की और से बताया गया है कि ये नए दिशानिर्देश 9 नवंबर 2022 से ही लागू हो गए हैं. हालांकि, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि चैनलों को इस तरह के कार्यक्रमों का कॉन्सेप्ट सोचने और उनके निर्माण के लिए कुछ समय दिया जाएगा.

इन नई गाइडलाइंस में हरेक ब्रॉडकास्टर या चैनल (TV Channels) को रोजाना 30 मिनट तक राष्ट्रीय महत्व (National Interest) या हित और जनसेवा से जुड़े हुए मुद्दों पर कंटेट देना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसको लेकर खासी चर्चा हो रही है.

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अपलिंकिंग (Up-linking)

जब सैटेलाइट (Satellite) से संचार के लिए जमीने से सैटेलाइट  को सिग्नल भेजे जाते हैं तो वो अपलिंक कहलाते हैं. अपलिंक वो फ्रेक्वेंसी होती है, जो सैटेलाइट  के रिसीविंग एंटेना द्वारा रिसीव की जाती है. ये हमेशा नीचे से ऊपर की ओर भेजे जाते हैं. यदि आसान भाषा में समझे तो अपलिंक पहले एंड यूजर से सैटेलाइट (Satellite) तक जाता है और फिर नीचे जमीन पर आ जाता है.

डाउनलिंकिंग (Down-Linking)

जब जमीन से सिग्नल को सैटेलाइट से रिसीविंग एंटीना द्वारा रिसीव कर लिया जाता है और फिर सैटेलाइट  उसमे से आवाज को हटाकर सिग्नल की स्ट्रेंथ को बढ़ा कर पृथ्वी पर दोबारा भेजता है, तो वो सिग्नल या फ्रीक्वेंसी डाउनलिंक कहलाते हैं. यदि इसे भी दूसरी भाषा में समझाया जाये तो डाउनलिंक वो सिग्नल होते हैं जो पहले सैटेलाइट के पास नीचे जमीन से आते हैं.

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किन विषयों पर दिखाना होगा कंटेंट?

सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी किए गए पत्र के अनुसार चैनलों (TV Channels) को आठ थीमों का विकल्प भी दिया गया है, जिनमें से किसी भी मुद्दे पर चैनल आधे घंटे का कार्यक्रम कर सकते हैं. थीमों में महिला सशक्तीकरण, कृषि और ग्रामीण विकास, शिक्षा और साक्षरता का प्रसार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान एवं तकनीक, समाज के कमजोर तबकों का कल्याण, राष्ट्रीय अखंडता, पर्यावरण और सांस्कृति संरक्षण जैसे मुद्दे शामिल हैं.

अपूर्व चंद्रा का कहना था कि इस आधे घंटे के स्लॉट के लिए दिए जाने वाली सामग्री को लेकर हम जल्द ही स्टेक होल्डर्स (चैनलों) आदि से चर्चा कर इसके बारे में अलग से गाइडलाइंस जारी करेंगे. हालांकि खेल, वाइल्ड लाइफ और विदेशी चैनलों पर यह नियम लागू नहीं होगा. केंद्र सरकार का कहना है कि चूंकि एयरवेव सार्वजनिक संपत्ति है और समाज के सर्वोत्तम हित में इसका उपयोग करने की जरूरत है.

जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार TV Channels को इवेंट (लाईव कार्यक्रमों) से जुड़े हुए कार्यक्रमों के सीधे प्रसारण के लिए पहले से इजाजत लेने की शर्त को खत्म कर दिया गया है. हालांकि सीधे प्रसारण किए जाने वाले कार्यक्रमों का पूर्व पंजीकरण करवाना अनिवार्य कर दिया गया है. दिशा-निर्देशों के अनुसार एक से अधिक टेलीपोर्ट की सुविधाओं का इस्तेमाल कर किसी चैनल को अपलिंक किया जा सकता है.

मौजूदा नियमों के तहत सिर्फ एक ही टेलीपोर्ट या उपग्रह के जरिए चैनल को अपलिंक किया जा सकता है. चैनलों की नेटवर्थ से जुड़े नियम में भी बदलाव किया गया है. इसके अलावा चैनलों के रिन्यू होने पर उनकी नेटवर्थ की सीमा को भी 20 करोड़ कर दिया गया है.

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क्या कह रही है सरकार ?

केंद्र सरकार का कहना हा कि इन नए नियमों से चैनलों (TV Channels) को अनुपालन में आसानी होगी. सरकार के अनुसार Dy कार्यक्रमों के सीधे प्रसारण के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है, केवल सीधे प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों के लिए पूर्व पंजीकरण आवश्यक होगा. वहीं, स्टैंडर्ड डेफिनिशन से (SD) से हाई डेफिनिशन (HD) या इसके अलावा भाषा में परिवर्तन या ट्रांसमिशन के मोड में बदलाव के लिए पहले से कोई अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी, हालांकि पूर्व सूचना देने की जरूरत होगी.

जारी किए गए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि आपात स्थिति में, एक कंपनी / सीमित देयता भागीदारी (Limited Liability Partnership- LLP) के लिए केवल दो निदेशकों / भागीदारों के साथ, एक निदेशक / साझेदार को बदला जा सकता है. हालांकि इस तरह की नियुक्ति के बाद यह सुरक्षा मंजूरी के अधीन और व्यापार निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए होगी. एक कंपनी / एलएलपी डिजिटल सैटेलाइट न्यूज गैदरिंग (DSNG), सैटेलाइट न्यूज गैदरिंग (SNG), इलेक्ट्रॉनिक न्यूज गैदरिंग (ENG) सिस्टम के अलावा अन्य समाचार एकत्र करने वाले संसाधनों जैसे ऑप्टिक फाइबर, बैग बैक, मोबाइल आदि का उपयोग कर सकती है, जिसके लिए अलग से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी.

सरकार ने कहा है कि सी बैंड के अलावा फ्रीक्वेंसी बैंड में अपलिंक करने वाले टीवी चैनलों को अनिवार्य रूप से अपने सिग्नलों को एन्क्रिप्ट (Encrypt) करने की आवश्यकता होती है.

कारोबार करने में होगी आसानी

दिशआनिर्देशों के अनुसार सूचना और प्रसारण मंत्रालय के लिए अनुमति प्रदान करने के लिए 30 दिनों की समय-सीमा प्रस्तावित की गई है, हालांकि ये तब लागू होगी जब गृह मंत्रालय और अन्य संबंधित निकायों से अनुमति मिल जाएगी. वहीं अब सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) संस्थाएं भी चैनल के लिए मंजूरी ले सकती हैं. एलएलपी / कंपनियों को अब भारतीय टेलीपोर्ट से विदेशी चैनलों को अपलिंक (संचालित करना) करने की अनुमति भी दी जाएगी. सरकार का कहना है कि इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और यह भारत को अन्य देशों के लिए टेलीपोर्ट-हब बना देगा.

अभी जहां एक समाचार एजेंसी को एक वर्ष के लिए लाइसेंस जारी किया जाता है. वहीं अब इसको 5 वर्ष की अवधि के लिए अनुमति मिल सकती है. इसके अलावा अभी जहां एक चैनल को केवल एक टेलीपोर्ट / उपग्रह की अनुमति इसकी तुलना में नये दिशानिर्देशों में चैनलों को अधिक टेलीपोर्ट / उपग्रह की सुविधाओं का उपयोग करके अपलिंक किया जा सकता है;

और क्या बदला

केंद्र सरकार ने दिशानिर्देशों के एक संयुक्त सेट (Single Set) के माध्यम से दो अलग-अलग दिशानिर्देशों को बदल दिया गया है. दोहराव (Repetition) और सामान्य मापदंडों से बचने के लिए दिशानिर्देशों की संरचना को व्यवस्थित किया गया है. इसके अलावा लगाए जाने वाले जुर्माने की धाराओं को भी युक्तिसंगत बनाया गया है और वर्तमान में एक समान जुर्माने की तुलना में विभिन्न प्रकार के उल्लंघनों के लिए अलग-अलग जुर्माने का प्रस्ताव किया गया है.

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