Gyanvapi ASI Survey: इलाहाबाद हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे शुक्रवार (4 अगस्त, 2023) से शुरू हो गया। आर्कियोलॉजिल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या 17वीं शताब्दी की ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर पर किया गया। वाराणसी जिला अदालत के जज अजय कृष्ण विश्वेश ने 21 जुलाई से परिसर के एएसआई सर्वे को इजाजत दी थी और 4 अगस्त को सर्वे की रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था।
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए एएसआई की टीम पहुंच चुकी है। टीम के 51 सदस्यों ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है। इस दौरान, मुस्लिम पक्ष के अलावा सभी संबंधित पक्ष मौजूद हैं। जिला अदालत की सुनवाई में एएसआई की तरफ से कोर्ट को इस बात की जानकारी दी जा सकती है कि सुप्रीम कोर्ट और बाद में हाई कोर्ट की रोक की वजह से सर्वे पूरा नहीं किया जा सका। कोर्ट को यह भी बताया जा सकता है कि सर्वे कितने दिनों में पूरा होगा और कब तक रिपोर्ट दाखिल की जा सकती है।

Gyanvapi ASI Survey के लिए बढ़ाई गई सुरक्षा
सर्वे के चलते परिसर की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है और 2 आईपीएस, 4 एडिशनल एसपी, 6 डिप्टी एसपी और 10 पुलिस इंस्पेक्टर के अलावा करीब 200 पुलिस कर्मियों को भी तैनात किया गया है।
Gyanvapi ASI Survey: वाराणसी की जिला अदालत में आज होगी सुनवाई
जिला जज अजय विश्वेश की कोर्ट में आज सुनवाई होगी। 21 जुलाई के आदेश में जिला जज ने एएसआई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कर आज यानी 4 अगस्त को रिपोर्ट देने को कहा था, लेकिन पहले सुप्रीम कोर्ट और बाद में हाई कोर्ट की रोक की वजह से सर्वे का काम पूरा नहीं किया जा सका था।

जिस दिन सर्वे शुरू होना था, उसी दिन मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया कमेटी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने 26 जुलाई तक के लिए सर्वे पर अंतरिम रोक लगा दी और मुस्लिम पक्ष से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील करने को कहा। 27 जुलाई को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 3 अगस्त को जस्टिस प्रितिंकर दिवाकर की पीठ ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी और जिला अदालत के फैसले को न्याय संगत एवं सही बताते हुए सर्वे को मंजूरी दे दी। उधर, हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए मुस्लिम पक्ष ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

अगस्त, 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक याचिका दाखिल की थी। याचिका में मस्जिद के साथ में स्थित श्रंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने के लिए अनुमति की मांग की गई थी।
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