Supreme Court ने गुरुवार को महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा स्थानीय निकायों के चुनाव में OBC वर्ग के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए दी गई अंतरिम रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि चुनाव OBC आरक्षण के बिना, उन सीटों को सामान्य सीट मानते हुए होंगे। बता दें कि कोर्ट के आदेश के बाद Maharashtra सरकार ने आगे के कदमों पर चर्चा करने के लिए दोपहर को कैबिनेट की बैठक बुलाई है।

आयोग द्वारा दी गई अंतरिम रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर करते हुए जस्टिस खानविलकर ने कहा कि आयोग को डाटा की बजाय प्रामाणिक डाटा प्राप्त करने पर जोर देना चाहिए था और आयोग को कैसे पता चला है कि यह ही डाटा सही है और प्रामाणिक है?
आखिर क्यों आयोग ने इस डाटा को माना है सही? Supreme Court
सुनवाई के दौरान जस्टिस खानविलकर ने कहा कि आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट में कोई तर्कसंगत जवाब नहीं दिया गया है कि आखिर इस डाटा पर वो भरोसा क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि पहले आयोग इस डाटा को नकार देता है और अब उसी डाटा को सही बताते हुए आरक्षण लागू किए जाने की सिफारिश करता है। लेकिन उसके लिए कोई आधार नहीं देता कि आखिर क्यों उन्होंने इस डाटा को सही माना है?

वहीं सुनवाई में कमीशन की तरफ से कहा गया कि हम इस रिपोर्ट पर अपना स्पष्टीकरण दे सकते हैं। जिस पर जस्टिस खानविलकर ने कहा कि आप भले ही इस पर स्पष्टीकरण दे दें लेकिन फिलहाल आयोग की इस रिपोर्ट पर हम आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक भागीदारी के आंकड़े का मुख्य डाटा जो आयोग के लिए आवश्यक है। वह डाटा आयोग को नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील विकास सिंह ने कहा कि यह आंकड़ा चुनाव आयोग के पास उपलब्ध है। लेकिन नहीं दिया गया है।
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