उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री Gayatri Prajapati की जमानत के मामले में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने गायत्री प्रजापति को उनकी जमानत याचिका के लिए हाई कोर्ट जाने को कहा है। दरअसल गायत्री प्रजापति ने Money Laundering के मामले में जमानत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बता दें कि पिछले साल 30 दिसंबर को खनन घोटाले को लेकर गायत्री प्रजापति के घर पर ईडी ने छापेमारी की थी। छापे में उनके अमेठी वाले घर पर कुल 11 लाख रुपये के पुराने नोट बरामद हुए थे। इसके अलावा ED को 5 लाख रुपये के सादे स्टाम्प पेपर, डेढ़ लाख रुपये कैश और सौ से अधिक बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज़ मिले थे।
प्रजापति को उम्रकैद की सजा सुनाई गयी
इसी महीने चित्रकूट में नाबालिग लड़की से गैंगरेप मामले में समाजवादी पार्टी नेता और यूपी सरकार में मंत्री रह चुके गायत्री प्रजापति समेत दो साथियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गयी। इससे पहले अखिलेश सरकार में मंत्री रहे खनन माफिया प्रजापति को रेप के आरोप में दोषी करार दिया गया था। एमपी-एमएलए कोर्ट ने गायत्री प्रजापति को चित्रकूट की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और पीड़िता की नाबालिग बेटी के साथ अश्लील हरकत के आरोपी सहयोगी आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को दोषी ठहराया है।
साल 2017 में दर्ज करायी गयी थी शिकायत
रेप के मामले में पीड़िता ने 18 फरवरी, 2017 को लखनऊ के गौतम पल्ली थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया था कि सपा सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति समेत अन्य नामजद आरोपियों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी दुष्कर्म का प्रयास किया।
महिला को झांसा देकर गायत्री प्रजापति ने किया रेप
एफआईआर के मुताबिक मंत्री गायत्री प्रजापति ने उसे खनन का पट्टा दिलाने के लिए लखनऊ बुलाया। जिसके बाद उस महिला को झांसा देकर मंत्री प्रजापति द्वारा कई जगहों पर उसके साथ रेप किया गया। इस केस में पीड़िता का आरोप है कि उसने घटना की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को सौंपी थी लेकिन यूपी पुलिस के द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जिसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री गायत्री प्रजापति सहित तमाम अन्य आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था। रेप का मामला दर्ज होने के बाद यूपी पुलिस ने पहली बार गायत्री प्रजापति को 15 मार्च 2017 को गिरफ्तार किया था। लेकिन पुलिस को उनकी गिरफ्तारी के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े थे। गिरफ्तारी के लिए गायत्री प्रसाद प्रजापति के लखनऊ स्थित आवास विकास के फ्लैट पर तीन बार छापा डाला गया लेकिन वो फरार रहे।
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