मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज पाटलिपुत्र खेल परिसर, कंकड़बाग में सेपक टाकरा वर्ल्ड कप 2025 के शुभारंभ की घोषणा कर इस खेल प्रतियोगिता की औपचारिक शुरूआत की। मुख्यमंत्री ने खिलाड़ी एवं आयोजकों के साथ सेपक टाकरा वर्ल्ड कप के सामने तस्वीर भी खिंचवाई।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों से मुलाकात कर उन्हें शुभकामनायें दी और उपस्थित लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। मुख्यमंत्री ने खेल मैदान में जाकर खिलाड़ियों और प्रतिभागी देशों के प्रतिनिधियों को बधाई एवं शुभकामनायें दी।
बिहार में पहली बार सेपक टाकरा वर्ल्ड कप 2025 का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में विश्व के 20 देशों के 300 से अधिक खिलाड़ी और प्रशिक्षक हिस्सा लेंगे। 20 से 25 मार्च तक पटना के पाटलिपुत्र खेल परिसर में इसका आयोजन किया जा रहा है।
इस खेल का अंतर्राष्ट्रीय स्तर का आयोजन कर बिहार ने नया इतिहास रचा है। यह बिहार के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण क्षण है। इस आयोजन से न केवल बिहार को वैश्विक खेल मंच पर एक नई पहचान मिलेगी बल्कि राज्य में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण योगदान होगा। है। इससे स्थानीय खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं व प्रतिस्पर्धा का अनुभव होगा।
ज्ञातव्य है कि सेपक टाकरा दक्षिण-पूर्व एशिया का एक पारंपरिक खेल है, जिसमें खिलाड़ी बांस से बनी एक विशेष गेंद (सेपक) को पैरों, सिर, घुटनों और छाती की मदद से खेलते हैं। इसे फुटबॉल और वॉलीबॉल का मिश्रण कहा जा सकता है, जिसमें खिलाड़ी को अधिक लचीलापन, संतुलन और कौशल की आवश्यकता होती है। थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया और म्यांमार जैसे देशों में यह खेल अत्यंत लोकप्रिय है। अब बिहार इस खेल के माध्यम से वैश्विक खेल मंच पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए तैयार है।
कार्यक्रम के दौरान इंटरनेशनल सेपक टाकरा फेडरेशन के सेक्रेटरी जेनरल श्री दातुक अब्दुल हलीम कादिर ने मुख्यमंत्री को प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने बिहार के सेपकटाकरा खिलाड़ी श्री बॉबी कुमार को प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम में जल संसाधन मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, पुलिस महानिदेशक श्री विनय कुमार, सामान्य प्रशासन विभाग सह खेल विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ० बी० राजेन्दर, मुख्यमंत्री के सचिव श्री कुमार रवि, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक डॉ० रविंद्रन शंकरण, खेल विभाग के निदेशक श्री महेंद्र कुमार, इंटरनेशनल सेपक टाकरा फेडरेशन के अध्यक्ष श्री बुन चाई लोर पीपथ, इंटरनेशनल सेपक टाकरा फेडरेशन के सेक्रेटरी जेनरल श्री दातुक अब्दुल हलीम कादिर, सेपक टाकरा फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्री योगेंद्र सिंह दहिया सहित अन्य वरीय अधिकारीगण, प्रशिक्षक एवं प्रतिभागी देशों के खिलाड़ी उपस्थित थे।
नगर सरकार में आधी आबादी का राज
– राज्य के 19 नगर निगमों में 16 में महिला महापौर और 11 में महिला उप-महापौर हैं मौजूद
- पटना नगर निगम में तो महापौर और उप-महापौर दोनों पदों पर महिलाएं हैं काबिज
2001 में महिला मुखिया की संख्या महज 0.92 प्रतिशत थी, जिसमें निरंतर बढ़ोतरी दर्ज की गई और 2021 में यह बढ़कर 52.23 प्रतिशत हो गई।
राज्य के नगर सरकार में आधी आबादी का बोलबाला है। पंचायतों में अपनी राजनीतिक हुनर साबित करने के बाद अब महिलाएं नगर निकायों में भी मजबूती से काबिज होकर सरीके से सरकार चला रही हैं। सूबे के 19 नगर निगमों में 16 महिला महापौर और 11 महिलाएं उप-महापौर हैं। पटना नगर निगम की महापौर और उप-महापौर दोनों महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं काबिज हैं। राजधानी का नगर शासन पूरी मुस्तैदी से दोनों महिलाएं चला रही हैं।
राज्य में ऐसी दर्जनभर से अधिक नगर निगम क्षेत्र हैं, जहां महापौर और उप-महापौर दोनों प्रमुख पदों पर महिलाओं का कब्जा है। इसमें आरा, बेगूसराय, बेतिया, बिहारशरीफ, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और सासाराम शामिल हैं।
राज्य के नगर निकायों में इस बार 6 हजार 106 पार्षद विजीय हुए। इसमें 2 हजार 653 पुरुष और 3 हजार 453 महिला पार्षद शामिल हैं। सभी नगर निगमों में 922 वार्ड पार्षद जीतकर आए, जिसमें 385 पुरुष और 537 महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा 10 मुख्य पार्षद में 17 महिला और 2 पुरुष के अलावा 19 उप-मुख्य पार्षद में 11 महिला एवं 8 पुरुष शामिल हैं।
इसी तरह नगर परिषद में 2 हजार 549 वार्ड पार्षद जीतकर आए, जिसमें 1094 पुरुष एवं 1455 महिलाएं शामिल हैं। इसी तरह 88 मुख्य पर्षद में 51 महिलाएं और 37 पुरुष के अलावा 88 मुख्य पर्षद में 51 महिला एवं 37 पुरुष शामिल हैं।
कुछ ऐसी ही स्थिति नगर पंचायत में भी दिखती है। 2 हजार 125 वार्ड पार्षद में 1160 महिला और 965 पुरुष शामिल हैं। इसी तरह 148 उप-मुख्य पार्षद में 82 महिलाएं एवं 66 पुरुष शामिल हैं। मुख्य पार्षद के 148 पदों में 89 महिलाएं तथा 59 पुरुष काबिज हैं। इस तरह सभी नगर निकायों में बड़ी संख्या में महिलाओं की मौजूदगी दिख रही है।
गौरतलब है कि 2005 में राज्य में नीतीश कुमार की सरकार के सत्ता में आने के अगले वर्ष यानी 2006 में महिला दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने पंचायतों एवं सभी स्तर के नगर निकायों में 50 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी। इस तरह का ऐतिहासिक फैसला करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन गया। इसके साथ ही पंचायत स्तर पर हुए चुनाव में महिलाओं ने अपना दम दिखाया और नारी शक्ति की ताकत ग्रामीण राजनीति में भी मजबूती से उभरकर सामने आई। आरक्षण की इसी बानगी का असर नगर निकायों में भी दिखने लगा और महिलाओं की भूमिका प्रभावी तरीके से सामने आने लगी। इसका प्रभाव आज ऊपरी स्तर तक देखने को मिल रहा है और महिलाएं अब महापौर और उप-महापौर के ओहदे तक पहुंचने लगी हैं।
अगर महिलाओं की स्थिति पंचायत स्तर पर देखें, तो इसमें लगातार सुधार आया है। 2001 में महिला मुखिया की संख्या महज 0.92 प्रतिशत थी, जिसमें निरंतर बढ़ोतरी दर्ज की गई और 2021 में यह बढ़कर 52.23 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह जिला परिषद स्तर पर महिलाओं की स्थिति पर नजर डालें, तो 2021 में यह प्रतिशत 10.72 प्रतिशत था। यानी कुल 529 जिला परिषद प्रमुखों में सिर्फ 54 महिला प्रमुख थी। इनकी संख्या 2021 में बढ़कर 65.79 प्रतिशत हो गई। 532 जिला पर्षद प्रमुख में महिला प्रमुखों की संख्या 350 हो गई। पंचायत में महिला आरक्षण की यह व्यवस्था महिला क्रांति का ऐतिहासिक घोतक बनकर उभरा है।
महिला सशक्तिकरण की इस बेमिशाल बानगी का यह मॉडल देश के लिए नजीर बनकर उभरा और कई राज्यों ने इसे अपनाना शुरू कर दिया। कई राज्यों ने बिहार के इस मॉडल को अपनाया और इसे अपने यहां लागू किया। ग्रामीण सरकार में महिलाओं की दावेदारी बढ़ने का असर अब सीधे तौर पर सक्रिय राजनीति में भी दिखने लगा है। इसका प्रभाव विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी पड़ने लगा है और अब राजनैतिक दल बड़ी संख्या में महिलाओं को टिकट देने में तवज्जों देने लगी हैं।
हवाई यात्राओं के मामले में भी नई उड़ान भर रहा है बिहार। दो दशक में छह गुना बढ़ी विमानों की आवाजाही, 17 गुना बढ़े यात्री। राज्य में कोई भी स्थान हवाई अड्डे से 200 किलोमीटर से अधिक दूर न हो: मुख्य सचिव
पिछले दो दशकों में बिहार में हवाई सेवाओं में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है। सूबे में हवाई संपर्क, बुनियादी ढांचे और आर्थिक गतिविधियों में जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य अब हवाई यातायात के मानचित्र पर कहीं अधिक मजबूत स्थिति में खड़ा है।
बता दें कि साल 2005 में बिहार में केवल पटना और गया हवाई अड्डे ही कार्यरत थे। आंकड़ों पर नजर डालें, तो वर्ष 2005-06 में बिहार के हवाई अड्डों से कुल 4,788 विमानों की आवाजाही हुई थी और लगभग 2.48 लाख यात्रियों ने हवाई यात्रा की थी। वहीं, 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 29,614 विमान आवाजाही और 42.86 लाख यात्रियों तक पहुँच गया। यह क्रमशः लगभग 6 गुना और 17 गुना की वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि बिहार में हवाई संपर्कता और बुनियादी ढांचे के विकास का एक स्पष्ट संकेत है।
मुख्य सचिव श्री अमृत लाल मीणा ने कहा कि राज्य सरकार नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मार्गदर्शन और समन्वय में कार्य कर रही है। राज्य संसाधनों से हवाई अड्डों के विस्तार के लिए भूमि उपलब्ध कराई जा रही है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) आवश्यक बुनियादी ढाँचे, जिसमें टर्मिनल भवन भी शामिल हैं, का विकास कर रहा है। हमारा संकल्प है कि राज्य में कोई भी स्थान हवाई अड्डे से 200 किलोमीटर से अधिक दूर न हो।”
दरभंगा सिविल एन्क्लेव
दरभंगा सिविल एन्क्लेव, बिहार के उत्तरी क्षेत्र में स्थित एक महत्वपूर्ण हवाई अड्डा है, जो भारतीय वायु सेना के स्टेशन में स्थित है। इस हवाई अड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की शुरुआत 8 नवंबर 2020 को हुई। इसे केंद्र सरकार की उड़ान (UDAN) योजना के तहत विकसित किया गया, जिसका उद्देश्य देश के छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ना है। शुरुआत में दरभंगा से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों के लिए सीधी उड़ानें शुरू की गईं। पहले ही वर्ष में यात्रियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली और यह एयरपोर्ट बिहार के प्रमुख हवाई अड्डों में शामिल हो गया।
वर्ष 2023-24 में यहाँ से 3,335 विमानों की आवाजाही और 5.26 लाख से अधिक यात्रियों का आवागमन हुआ, जो इसके तीव्र विकास को दर्शाता है। आज दरभंगा एयरपोर्ट मिथिलांचल और उत्तर बिहार के लोगों के लिए एक अहम हवाई संपर्क केंद्र बन चुका है।
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप इस हवाई अड्डे का विस्तार किया जा रहा है ताकि बड़े विमानों का संचालन सुगमता से हो सके। बिहार कैबिनेट द्वारा 90 एकड़ अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण के लिए ₹245 करोड़ की स्वीकृति 10 जनवरी 2025 को प्रदान की गई है। इस परियोजना का उद्देश्य दरभंगा हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित करना है।
अन्य हवाई अड्डों का विकास
बिहार में हवाई संपर्कता को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों और स्वीकृत परियोजनाओं के तहत बिहार के विभिन्न हवाई अड्डों के विकास की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
- रक्सौल ब्राउनफील्ड हवाई अड्डा
स्वीकृति: बिहार कैबिनेट द्वारा 10 जनवरी 2025 को 139 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को ₹207 करोड़ की लागत से स्वीकृति प्रदान की गई।
यह हवाई अड्डा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) के अधीन है और AAI द्वारा ही विकसित किया जाएगा। - बीरपुर हवाई अड्डा (सुपौल)
स्वीकृति: बिहार कैबिनेट द्वारा 4 फरवरी 2025 को 88.83 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को ₹42.37 करोड़ की लागत से स्वीकृति प्रदान की गई। यह हवाई अड्डा उड़ान (UDAN) योजना के तहत विकसित किया जाएगा। - पूर्णिया सिविल एन्क्लेव
विकास कार्य: पूर्णिया एयरपोर्ट (चूनापुर) के विकास को लेकर तेज़ी से कार्य हो रहा है, जिससे क्षेत्रीय संपर्क को मजबूती मिलेगी।
पूर्णिया शहर से एयरपोर्ट तक बेहतर पहुँच के लिए बिहार सरकार ने गोआसी से चूनापुर के बीच चार लेन सड़क परियोजना को मंज़ूरी दी है। इस परियोजना से यात्रियों के लिए एयरपोर्ट तक सुगम और तेज़ आवाजाही संभव होगी। इसका कुल बजट ₹14,86,21,000 है।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) द्वारा अंतरिम सिविल एन्क्लेव के निर्माण का कार्य मार्च 2025 में शुरू कर दिया गया है। वहीं, एयरपोर्ट की बाउंड्री वॉल निर्माण का कार्य भवन निर्माण विभाग द्वारा दिया गया है और उसका कार्य भी मार्च 2025 में आरंभ हो चुका है।
यह परियोजना पूर्णिया और आसपास के क्षेत्रों के लिए हवाई संपर्क को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- बिहटा सिविल एन्क्लेव
परियोजना स्वीकृति: एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने बिहटा एयरपोर्ट के निर्माण के लिए 459.99 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कार्य का ऑर्डर दिया है। यह एयरपोर्ट निर्माण कार्य 2027 के अंत तक पूरा किया जाएगा।
पटना एयरपोर्ट पर यात्री दबाव अधिक है। बिहटा एयरपोर्ट इसके वैकल्पिक समाधान के रूप में विकसित किया जा रहा है।
इस एयरपोर्ट से A-321, B-737-800, A-320 जैसे बड़े विमानों का संचालन संभव होगा। नया टर्मिनल, यूटिलिटी बिल्डिंग, एयरसाइड रोड, टैक्सीवे, एयरफील्ड सिस्टम, सुरक्षा सिस्टम आदि शामिल होंगे। इससे बिहार को औद्योगिक और आर्थिक रूप से नई ऊंचाइयाँ मिलेंगी, और इमरजेंसी में उपयोगी होगा।
छोटे हवाई अड्डों का विकास
राज्य सरकार के स्वामित्व वाले भागलपुर, वाल्मीकिनगर, बीरपुर, मधुबनी, मुंगेर और सहरसा हवाई अड्डों के साथ-साथ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) के मुजफ्फरपुर हवाई अड्डे को उड़ान (UDAN) योजना के तहत विकसित करने के लिए बोलियाँ प्राप्त हुई हैं।
विकास का उद्देश्य: इन हवाई अड्डों को 19 सीटों तक की क्षमता वाले छोटे विमानों के संचालन के लिए तैयार किया जाएगा।
बिहार सरकार ने 13 जनवरी 2025 को इन हवाई अड्डों के विकास हेतु अपनी सहमति प्रदान की है। इसके अतिरिक्त, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 19 फरवरी 2025 को हुई परियोजना मूल्यांकन समिति (Project Evaluation Committee) की बैठक में उपरोक्त 7 हवाई अड्डों के विकास को सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति प्रदान की है।
ये सभी योजनाएं बिहार में हवाई संपर्कता को मजबूती प्रदान करेंगी और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगी।
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण राज्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं रोकथाम हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन एवं क्रियान्वयन कर रहा है। इस संदर्भ में विभिन्न आपदाओं के परिप्रेक्ष्य में पूर्व तैयारी एवं क्षमतावर्धन संबंधी कार्यक्रमों को आयोजन किया जाता है। आपदाओं के प्रति जनजागरूकता हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार का सहारा लिया जाता है।
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम, सामुदायिक वॉलेंटियर का प्रशिक्षण, डूबने से बचाव, नाविकों का प्रशिक्षण, भूकंपरोधी भवन निर्माण संबंधी राजमिस्त्रियों का प्रशिक्षण, जीविका दीदियों का प्रशिक्षण एवं विभिन्न प्रकार की आपदाओं के न्यूनीकरण हेतु कार्ययोजना, मार्गदर्शिका तथा मानक संचालन प्रक्रिया को विकसित किया गया है जिससे राज्य स्तर पर आपदाओं से होने वाली क्षति को कम किया जा सके। इसके साथ-साथ दिव्यांगजनों को विभिन्न आपदाओं की स्थिति में महफूज रखने का बीड़ा भी बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने उठाया है। दिव्यांग प्रक्षेत्र के स्कूलों-संस्थानों के बच्चों और उनके शिक्षकों- प्रशिक्षकों- परिजनों के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया गया है। इसके आधार पर शिक्षकों व बच्चों को प्रशिक्षित किया जाएगा। राजधानी के पांच विद्यालयों में 700 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों को आपदाओं से बचाव की जानकारी मॉकड्रिल के जरिये दी जा चुकी है। अब तक करीब एक हजार मास्टर ट्रेनर्स तैयार किए जा चुके हैं।
बिहार दिवस, 2025 (22-26 मार्च, 2025) के अवसर पर गांधी मैदान, पटना स्थित आपदा प्रबधंन प्राधिकरण के पवेलियन में पांच दिनों तक आपदा से बचाव के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं तथा विभिन्न आपदाओं से बचाव की तैयारी एवं प्रत्युत्तर संबंधी राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा मोचन बल, बिहार अग्निशाम सेवा, सिविल डिफेंस एवं अन्य सभी हितभागियों व संस्थाओं के माध्यम से प्रदर्शन किया जाना है। जन-जागरूकता हेतु विभिन्न नाट्य मंच कलाकारों द्वारा नुक्कड़ नाटक, गीत-संगीत एवं मॉक अभ्यास कार्यक्रमों की प्रस्तुति की जाएगी।
बिहार दिवस 2025 में गांधी मैदान में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से बनाए गए पवेलियन के उद्घाटन हेतु निमंत्रण देने के लिए श्री नीतीश कुमार माननीय मुख्यमंत्री, बिहार सह अध्यक्ष से माननीय उपाध्यक्ष डॉ. उदय कांत, माननीय सदस्य श्री कौशल किशोर मिश्र, इंजीनियर श्री नरेंद्र कुमार सिंह व श्री प्रकाश कुमार ने मुलाक़ात की।