सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नेम प्लेट विवाद , योगी सरकार के फैसले के खिलाफ दायर हुई याचिका ; मामले पर कल होगी सुनवाई

0
9

Name Plate Case in Supreme Court : कांवड यात्रा के रूट पर खाने-पीने की दुकानों, ढाबों और होटलों पर उनके मालिकों के नाम लिखे होने चाहिए वाले यूपी सरकार के फरमान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका सुनवाई के लिए लिस्ट हो चुकी है। अब इस मामले में कल यानी सोमवार (22 जुलाई) के दिन शीर्ष अदालत में सुनवाई होगी। दरअसल, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (Association for Protection of Civil Rights) नामक एक एनजीओ (NGO) ने योगी सरकार के इस फैसले को चुनौती देने के लिए याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी, जिसे अब सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है। 

ऐसे कयास लग रहे हैं कि सोमवार को होने वाली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट कोई बड़ा फैसला सुना सकता है। बता दें कि एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में योगी सरकार के नेम प्लेट वाले फैसले को रद्द करने की मांग की है।

क्या है मामला?

यूपी की योगी सरकार ने काँवड़ यात्रा के रूट पर सभी दुकानों, ढाबों, रोड़ पर समान बेचने वालों को अपने नाम की नेम प्लेट अपने साथ या अपनी दुकान पर रखने के निर्देश दिए हैं। यूपी सरकार का कहना है कि ऐसा वे राज्य में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने और कावड़ यात्रियों की आस्था और शुचिता को बरकरार रखने के कर रहे हैं। प्रदेश सरकार के इस फैसले पर सियासी घमासान उठ खड़ा हुआ है। विपक्ष के नेता तो बीजेपी पर जातिगत और धार्मिक भेदभाव की राजनीति का आरोप लगा ही रहे हैं। साथ ही एनडीए के सहयोगी दल भी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में, इस मामले का कोर्ट तक पहुंचना योगी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

NDA सहयोगियों ने किया BJP के फैसले का विरोध

एनडीए के सहयोगी दल भी योगी सरकार के इस फैसले के समर्थन से दूरी बना रहे हैं और विरोध कर रहे हैं। NDA में मौजूद आरएलडी, जेडीयू और एलजेपी ने योगी सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और LJP अध्यक्ष चिराग पासवान ने नेमप्लेट विवाद पर कहा था, “मैं धर्म या जाति के नाम पर इस प्रकार के विभेद का समर्थक नहीं हूँ”। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने बोले, “यूपी सरकार का फैसला पीएम मोदी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास विचारधारा के खिलाफ है।” वहीं आरलेडी के यूपी अध्यक्ष रामाषीश राय ने कहा, ” ये गैर-संवैधानिक फैसला है, जो कि वापस होना चाहिए।”