Haryana: हमारे देश में बहुत से अनमोल रत्न हुए हैं, जिनका काम तो काम नाम भी काफी होता है। देश के नाम को जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक पहुंचाने में अपार सफलता प्राप्त करने वाली कल्पना चावला बेशक आज हमारे बीच नहीं, लेकिन उनका नाम हर बच्चे की जुबां पर है। हरियाणा (Haryana) से ताल्लुक रखने वाली कल्पना चावला ने अपने आत्मविश्वास और मेहनत से देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का बता दिया, कि भारत की लड़कियां किसी से कम नहीं। दूसरी तरफ बैडमिंटन खेलकर कॉमनवेल्थ से लेकर ओलंपिक में पदक जीतकर सुर्खियां बटोर चुकीं साइना नेहवाल (Saina Nehwal) का कोई सानी नहीं है। दोनों का ही आज जन्मदिन है। मगर अफसोस कल्पना चावला हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका नाम हमेशा अमर रहेगा।

Haryana के जिले करनाल गुजरा था कल्पना का बचपन
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था। उनके पिता बनारसी लाल चावला और माता का नाम संज्योती था। कल्पना चावला अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। बचपन से ही उन्हें उड़ने का शौक था, खासतौर से अंतरिक्ष की गहराई को जानने का। समय बीतता गया। हालांकि उनके पिता उन्हें डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे, लेकिन कल्पना को बचपन से ही अंतरिक्ष से प्यार था। वह अकसर अपने पिता से पूछा करती थीं कि ये अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं?
चंडीगढ़ एरोनॉटिकल से किया बीटेक
कल्पना चावला ने साल 1976 में हरियाणा के करनाल के टैगोर स्कूल से स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद 1982 में उन्होंने चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और 1984 में टेक्सास विश्वविद्यालय से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमए की शिक्षा हासिल की। कल्पना ने 1988 में कोलोरेडो विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ फ़िलॉसफ़ी की डिग्री प्राप्त की। इसी साल कल्पना ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू कर दिया था। साल 1994 तक आते-आते कल्पना चावला का चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री के लिए हो गया। उन्हें हवाई जहाज और ग्लाइडर रेटिंग के साथ एक प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का लाइसेंस, एकल और बहु-इंजन भूमि और समुद्री विमानों के लिए वाणिज्यिक पायलट के लाइसेंस, और ग्लाइडर, और हवाई जहाज के लिए उपकरण रेटिंग का लाइसेंस प्राप्त किया। उन्हें एरोबेटिक्स और टेल-व्हील हवाई जहाज उड़ाने में बेहद मजा आता था।

1997 में STS-87 पर मिशन विशेषज्ञ के तौर पर चुनीं गईं
बतौर अंतरिक्ष-यात्री चयन होने के बाद कल्पना चावला ने साल 1995 में जॉनसन स्पेस सेंटर में एक एस्ट्रोनॉट प्रतिभागी के तौर पर एस्ट्रोनॉट के 15वें ग्रुप में जॉइन किया। यहां एक साल तक उन्होंने प्रशिक्षण लिया। नवंबर 1996 में कल्पना चावला का चयन अंतरिक्ष उड़ान STS-87 पर मिशन विशेषज्ञ और प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में हुआ। 19 नवंबर 1997 को कल्पना चावला ने पहली बार STS-87 के जरिए अंतरिक्ष की उड़ान भरी।
इस उड़ान का उद्देश्य यह पता करना था कि अंतरिक्ष में वजन रहित वातावरण में कैसे विभिन्न भौतिक गतिविधियां होती हैं? सूर्य के बाहरी वायुमंडलीय ऑब्जरवेशन का कार्य भी इसमें शामिल था। 5 दिसम्बर 1997 को STS-87 वापस धरती पर लौट आया। अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान के दौरान कल्पना चावला ने 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताए। इस दौरान उन्होंने पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं की।
आखिरी अंतरिक्ष उड़ान
41 साल की उम्र में कल्पना चावला ने दूसरी और आखिरी बार अंतरिक्ष की उड़ान भरी। 16 जनवरी 2003 को STS-107 ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी इस मिशन पर कल्पना चावला सहित 7 अंतरिक्ष यात्री गए थे। ये अपना मिशन खत्म कर 1 फरवरी 2003 की सुबह स्पेस शटल धरती पर वापस लौट रहा था, इसी दौरान एक ब्रीफकेस के आकार का इंसुलेशन का टुकड़ा टूट गया। इससे शटल का वह विंग्स क्षतिग्रस्त हो गया जो इसकी री-एंट्री के समय हीट से रक्षा करता है। इस घटना में कल्पना चावला सभी अंतरिक्ष यात्री मारे गए।
हादसे के 10 साल बाद साल 2013 में मिशन कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर ने यह कहकर सनसनी मचा दी थी, कि कोलंबिया स्पेस शटल के उड़ान भरते ही नासा को यह पता चल गया था कि अब वह शटल वापस धरती पर सुरक्षित नहीं आएगा। उसमें बैठे सभी 7 अंतरिक्ष यात्री मौत के मुंह में समा जाएंगे इसके बाद भी नासा ने अंतरिक्ष यात्रियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। कल्पना चावला सहित 7 अंतरिक्ष यात्री 16 दिनों तक मौत के साये में स्पेस वॉक करते रहे, लेकिन उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी कि वह अब कभी धरती पर सुरक्षित नहीं लौट पाएंगे। सभी यात्री अपने मिशन में लगे रहे और पल-पल की जानकारी नासा को भेजते रहे।

वर्ल्ड चैंपियन से लेकर ओलंपिक तक का सफर
साइना नेहवाल भारत की सफल बैटमिंटन खिलाड़ी हैं। साल 2009 में इन्होंने टॉप 5 खिलाड़ियों में अपनी जगह बनाई और साल 2015 में दुनिया की नंबर वन खिलाड़ी बन कर उभरीं। साइना ओलम्पिक में पदक जीतने वाली खिलाड़ी हैं। इनको भारत में बैटमिंटन को बढ़ावा देने का श्रेय दिया जाता है। साल 2016 में इनके बेहतरीन खेल प्रदर्शन की बदौलत भारत सरकार ने इन्हे पद्म भूषण पुरस्कार जो भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार सम्मानित किया। बैटमिंटन में खेल के अलावा साइना को धन धर्म करने के लिए भी जाना है और अपने इसी परोपकार की भावना की वजह ये सबसे सबसे ज्यादा दान धर्म करने वाले एथलीटों में 18वें नंबर पर आती हैं।
Haryana के हिसार में लिया था जन्म
17 माच्र 1990 को साइना का जन्म हरियाणा के हिसार जिले में हुआ। इनकी आरंभिक शिक्षा हिसार के स्कूाल से ही हुई। साइना नेहवाल के पिता घर चलाने के लिए कृषि विभाग में काम करते थे। उनके परिवार में उनके माता पिता दोनों ने अपने शुरुआती दिनों में खूब बैटमिंटन खेल चुके हैं। उनकी मां उषा रानी राज्य स्तरीय बैडमिंटन खिलाड़ी भी रह चुकी है।
इनकी मां का सपना था, कि अगर वो खुद राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन खिलाड़ी नहीं बन पाई। उनकी बेटी ये कारनामा करके उनका नाम ऊंचा करेंगीं। लिहाजा अपनी मां का सपना पूरा करने के लिए साइना बैटमिंटन खेलने उतरीं।
आठ वर्ष की उम्र से खेलने लगीं बैडमिंटन
साइना जब आठ साल की थीं, तब से बैटमिंटन खेल रही हैं। इनकी बड़ी बहन चंद्रांशु नेहवाल को वॉलीबाल खेलने में मजा आता है इसीलिए उन्होंने वॉलीबाल खेल में अपना करियर बनाया है। साइना के पिता अपनी दोनों बेटियों के भविष्य के अपने जमा पूंजी बच्चों की ट्रेनिंग पर खर्च की। इन्होंने शुरुआती शिक्षा कैंपस स्कूल सीसीएस एचएयू, हिसार से प्राप्त की और उसके बाद उनके पिता का ट्रांसफर हैदराबाद हो गया।

कोच पुलेला गोपीचंद और अभिभावकों को दिया सफलता का श्रेय
मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी और कोच पुलेला गोपीचंद से साइना ने बैडमिंटन खेलने के गुर सीखे। इनकी अकादमी में साइना के अलावा, पीवी सिंधु , साईं प्रणीत, पारुपल्ली कश्यप, श्रीकांत किदांबी, अरुंधति पंतवने, गुरुसाईं दत्त और अरुण विष्णु को ट्रेनिंग देकर एक बेहतरीन खिलाड़ी बनाया है। साइना ने बैडमिंटन खिलाड़ी परुपल्ली कश्यप से 14 दिसंबर 2018 से शादी कर ली। इनकी कर्मठता, लगन और धैर्य का देखकर बहुत से बच्चे इनके जैसे ही
एक बड़े बैडमिंटन खिलाड़ी बनना चाहते हैं। खेलों के साथ ही इनका नाम बॉलीवुड में भी मशहूर है। इनकी जीवनी पर आधारित एक फिल्म में अभिनेत्री परिणीती चोपड़ा ने साइना की शानदार भूमिका अदा की। जिसे सभी ने सराहा।
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