Taj Mahal: बीते 2 सालों में कोरोना महामारी का प्रभाव पूरी दुनिया में अलग-अलग क्षेत्रों पर पड़ा है। जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, अर्थव्यवस्था और बहुत सारे क्षेत्र शामिल है। भारत की बात करें तो बहुत सारे क्षेत्र धीरे-धीरे पहले की तरह रफ्तार पकड़ रहे हैं। पर्यटन की बात करें तो यहां भी पर्यटक धीरे-धीरे घूमना- फिरना शुरू कर रहे हैं। लेकिन पहले जैसी बात नहीं है।

कोरोना के कारण Taj Mahal देखने वालों की संख्या में आई कमी
महामारी आने के बाद दुनिया के सातवें अजूबे में आने वाले ताजमहल के पर्यटकों की संख्या में भी बहुत कमी आई। लॉकडाउन से पहले ताजमहल के दीदार के लिए 80 लाख भारतीय और 8 लाख से ज्यादा विदेशी पर्यटक आते थे। जिससे सालाना 2,500 करोड़ रुपये का कारोबार होता था। लॉकडाउन के बाद पहले साल भारतीय पर्यटकों की संख्या 8 लाख भी नहीं रही। वहीं विदेशी पर्यटकों की संख्या 8 लाख से घटकर 30 हजार हो गई। पहले लॉकडाउन के बाद ताजमहल में 21 सितंबर को केवल 2,300 सैलानी आए, जबकि उससे पहले ताजमहल पर हर दिन 25 हजार सैलानी पहुंचते थे।
पर्यटन से जुड़े लोगों की उम्मीद विदेशी उड़ानें

जनवरी में कोरोना की तीसरी लहर के कारण Taj Mahal के पर्यटकों की संख्या एकाएक गिरी थी। हालांकि मार्च में पर्यटन उद्योग संभल गया। होली पर ताजमहल को देखने के लिए 35 हजार से ज्यादा सैलानी आए। दो साल पहले की तरह ताज पर रौनक दिखने लगी है, पर उम्मीदें 27 मार्च से जुड़ी है, जब विदेशी उड़ानें शुरू हो जाएंगी।
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