Mahant Narendra Giri Murder Case: अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की संदिग्ध मौत (Suspected suicide) के मामले में सोमवार को एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने Anand Giri और दो अन्य आरोपियों के पॉलीग्राफिक परीक्षण के लिए सीबीआई के आवेदन को खारिज कर दिया है।
आरोपी आनंद गिरि के वकील सुधीर श्रीवास्तव (Sudhir Srivastava) ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरी मौत मामले में सीबीआई ने आरोपी द्वारा हिरासत में तथ्यों को छिपाने का हवाला देते हुए पॉलीग्राफ टेस्ट की अपील की थी। लेकिन यह टेस्ट केवल अभियुक्तों की सहमति से किया जा सकता है और इसलिए सीजेएम ने Video Conference के माध्यम से आरोपियों से बात की और पूछा कि क्या वे इसे चाहते हैं और उनके मना करने पर कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी खारिज कर दी है।
CBI ने पॉलीग्राफी टेस्ट करने की मांग की थी
इस मामले में पॉलीग्राफी टेस्ट की अनुमति की मांग को लेकर CBI की तरफ से अदालत में अर्जी दी गयी थी। तीनों अभियुक्तों आनंद गिरि, आद्या प्रकाश तिवारी व संदीप तिवारी को 27 सितंबर को कोर्ट ने पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया था। सीबीआई की तरफ से पूछताछ के लिए 10 दिनों की रिमांड मांगी गयी थी।
महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की मौत (Suspected suicide) के आरोप में स्वामी आनंद गिरी (Anand Giri) को 22 सितंबर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। आनंद गिरि के साथ ही दूसरे आरोपी लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी को भी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
पुलिस हिरासत में आने के बाद शिष्य आनंद गिरि का बयान
पुलिस हिरासत में आने के बाद शिष्य आनंद गिरी ने कहा था कि गुरूजी की हत्या कर मुझे फंसाने की साजिश की जा रही है। मठ की जमीन हड़पने औऱ वर्चस्व को लेकर उनकी हत्या की गई है। वो आत्महत्या नहीं कर सकते। उनकी हत्या की गई है। मठ की संपत्ति को बेचकर लोग बड़ी- बड़ी हवेलियां बनाना चाहते थे। आनंद गिरी ये भी कहा था कि मई के बाद मेरी गुरुजी की मुलाकात नहीं हुई थी। आख़िरी बार हम लखनऊ में मिले थे।
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