Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज की एमबीबीएस छात्रा को राहत देने से इंकार कर दिया है। एनसीसी का ‘सी’ प्रमाणपत्र न पेश करने के कारण कोर्स में दाखिले को निरस्त करने के आदेश की चुनौती देती याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कहा याची के पास बी ई ई ग्रेड का एनसीसी में ‘सी’ प्रमाणपत्र नहीं है। जो एनसीसी कोटे में प्रवेश की अर्हता है।
कोर्ट ने कहा योग्यता निर्धारित करने का अधिकार प्राधिकारियों को है। कोर्ट योग्यता निर्धारित नहीं कर सकती। ऐसे में अंतरिम आदेश से एमबीबीएस कोर्स कर रही छात्रा सहानुभूति पाने की अधिकारी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि छात्रा राहत पाने की हकदार नहीं हैं।
Allahabad HC: नीट परीक्षा के बाद एनसीसी कोटे में लिया था प्रवेश

ये आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने छात्रा जिज्ञासा तिवारी की याचिका पर दिया है।
याची ने वर्ष 2019 में इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के बाद सामान्य श्रेणी में नीट की परीक्षा दी थी। याची ने एनसीसी कोटे में प्रवेश लिया। याची के पास बी ई ई ग्रेड एनसीसी का बी प्रमाणपत्र है। लेकिन सी प्रमाणपत्र की अर्हता तय की गई है। इस बाबत संबंधित कॉलेज ने नोटिस देते हुए कहा कि बी ई ई ग्रेड के साथ एनसीसी का सी प्रमाणपत्र दें अन्यथा प्रवेश निरस्त कर दिया जाएगा। इसी मामले को चुनौती दी गई थी।
Allahabad HC: टीईटी प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक, राज्य सरकार जवाबतलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीईटी 2021 के प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार से पूछा है कि बीएड अभ्यर्थियों को प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक नियुक्त करने के संबंध में एनसीटीई ने कोई नई अधिसूचना जारी की या नहीं।
ये आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने प्रतीक मिश्र एवं अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने पूछा है कि एनसीटीई की 26 अगस्त 2018 की अधिसूचना में बीएड अभ्यर्थियों को प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक नियुक्त होने के लिए योग्य माना गया है लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट से यह अधिसूचना रद्द होने के बाद कोई नई अधिसूचना जारी की गई है या नहीं।
Allahabad HC: प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगाने की मांग
याचिका में टीईटी 2021 के प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसके अलावा बीएड डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक पढ़ाने के लिए नियुक्त किए जाने पर रोक की मांग की गई है।
कहा गया है कि बीएड डिग्रीधारक पूर्व में प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक नियुक्त होने के लिए योग्य नहीं थे। बाद में एनसीटीई ने 26 अगस्त 2018 को अधिसूचना जारी कर कुछ योग्यता हासिल करने के बाद बीएड अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक नियुक्त होने के लिए योग्य करार दिया।
राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिसूचना की थी रद्द
इस अधिसूचना को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। राजस्थान हाईकोर्ट ने उक्त अधिसूचना को गैरकानूनी करार देते हुए रद्द कर दिया। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि बीएड डिग्रीधारक कक्षा एक से पांच तक के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक नियुक्त होने के योग्य नहीं हैं।
राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिसूचना को अवैधानिक घोषित करते हुए कहा कि अधिसूचना केंद्र सरकार के शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 23(2 ) के तहत अधिकार का उपयोग कर जारी नहीं की गई है।
केंद्र सरकार को एनसीटीई की ओर से निर्धारित योग्यता को शिथिल करने का अधिकार है। याचियों का कहना था कि टीईटी 2021 का परिणाम घोषित किया जा चुका है और अब प्रमाण पत्र जारी किए किए जाने हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने टीईटी का परिणाम जारी करने से पूर्व राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर विचार नहीं किया।
राज्य सरकार के अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि अधिसूचना रद्द की जा चुकी है और यदि एनसीटीई की ओर से कोई नई अधिसूचना जारी की जाएगी तो उस पर विचार किया जाएगा। कोर्ट ने इस मुद्दे पर जानकारी मांगते हुए मामले पर सुनवाई के लिए 16 मई की तारीख लगाई है। साथ ही कहा कि अगली सुनवाई तक कोई भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
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