Allahabad HC: पंचमुखी हनुमान मंदिर की जमीन हथियाने के मामले में 2 लोगों की हत्या और 3 को घायल करने के आरोप में सपा सरकार में पूर्व राज्य मंत्री और एमएलसी कमलेश पाठक की रासुका के तहत नजरबंदी आदेश कोर्ट ने रद्द कर दिया। दोहरे हत्याकांड के आरोपी कमलेश पाठक के वकील ने भी कोर्ट में अपना पक्ष रखा। इस मामले में कोर्ट का कहना था, कि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा प्रत्यावेदन तय करने में 6 दिन की देरी के बाद संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं मिल सका। लिहाजा एक वर्ष की अवधि पूरी होने के आधार पर कोर्ट ने निरुद्धि आदेश रद्द कर दिया है।

Allahabad HC: सरकार ने कोविड को बताया स्पष्टीकरण में देरी की वजह
सरकार का कहना था कि किसान आंदोलन और कोविड के चलते स्पष्टीकरण देने में देर हुई। ये आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने अवैध निरुद्धि के खिलाफ दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए दिया। याचिका पर वकील महेंद्र प्रताप और अनुराग यादव ने बहस की।
याची के खिलाफ कोतवाली औरैया में पंचमुखी हनुमान मंदिर की जमीन पर अवैध असलहों के साथ जबरन कब्जा करने, वकील मंजुल चौबे और उनकी बहन सुधा चौबे की हत्या करने, 3 को घायल करने के आरोप में 15 मार्च 20 को एफआईआर दर्ज है। आरोपी को उसी दिन गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
Allahabad HC: रासुका के तहत नजरबंद
गैंगस्टर एक्ट के तहत बंद करने के बाद दहशत का माहौल कायम करने की एसएचओ कोतवाली की रिपोर्ट पर जिलाधिकारी औरैया ने 10 जनवरी 21को आरोपी को रासुका के तहत नजरबंद करने का आदेश दिया था। याची पर इससे पहले भी कालेश्वर भोले बाबा देवकाली मंदिर पर कब्जा कर अपने छोटे भाई को महंत बनाने का केस दर्ज है।
दूसरी तरफ याची का कहना था कि उसके खिलाफ दर्ज 32 आपराधिक मामलों में से वह 13 में बरी हो चुका है, जबकि 3 केस वापस ले लिए गए हैं। 12 मामलों में फाइनल रिपोर्ट पेश की गई है। कुल 28 केस निस्तारित हो चुके हैं, केवल 4 केस अभी चल रहे हैं। कोर्ट ने कहा संतुष्टि दर्ज करने में तथ्यों पर विचार नहीं किया गया। इसी आधार पर निरूद्धि रद्द की जाती है।
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