आखिरकार बीसीसीआई और आईसीसी के बीच लम्बे समय से विवादित रेवेन्यू मॉडल को लेकर समझौता हो गया है। आईसीसी अब क्रिकेट की सबसे धनी संस्था बीसीसीआई को अपने राजस्व का 22.8 प्रतिशत यानि कुल 26.15 अरब रुपये देगी।
आईसीसी शुरू में भारत को 29.3 करोड़ डॉलर यानी 18.92 अरब रुपये देने के लिए राजी हुआ था जबकि बीसीसीआई 57 करोड़ डॉलर (36.81 अरब रुपये) की मांग कर रही थी, जो कि आईसीसी अध्यक्ष शशांक मनोहर को मंजूर नहीं था। इसको लेकर बीसीसीआई सचिव अमिताभ चौधरी ने आईसीसी की पिछली बैठक में अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी और बैठक में इसको लेकर वोट भी पड़ा था। बीसीसीआई को इस मतदान में 1-13 के बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। हार से झल्लाए बीसीसीआई अधिकारी दबी जुबान में चैंपियंस ट्रॉफी के बहिष्कार तक की बात कर रहे थे। सीओए की सख्ती के बाद 7 मई को हुई बोर्ड की आम मींटिंग में भारतीय टीम को चैंपियंस ट्रॉफी में भेजने के लिए हरी झंडी मिली और आईसीसी से फिर बातचीत का रास्ता चुना गया।
इस बार भी अमिताभ चौधरी आईसीसी सम्मेलन में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और वह भारतीय राजस्व को कुछ हद तक बढ़ाने में कामयाब रहे। लंबी बातचीत के बाद आईसीसी के चेयरमैन शशांक मनोहर भारत को मिलने वाली राशि में 10 करोड़ डॉलर का इजाफा करने को तैयार हो गए हैं। सबसे ज्यादा रेवेन्यू पाने वाले देशों की लिस्ट में भारत पहले तो इंग्लैंड दूसरे नंबर पर है जिसे बीसीसीआई के रेवेन्यू का एक तिहाई यानि कुल13.90 करोड़ डॉलर मिलेंगे। ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और बांग्लादेश में से प्रत्येक को 12 करोड़ 80 लाख डॉलर जबकि जिम्बाब्वे को सबसे कम 9 करोड़ 40 लाख डॉलर मिलेंगे। इस बैठक में आईसीसी के पूर्णकालिक सदस्यों को कुल 86 फीसदी राजस्व देने का निर्णय लिया गया, वहीं शेष 14 फीसदी राशि को इसके एसोसिएयट सदस्यों के बीच बांटने का फैसला हुआ है।
विवाद की जड़
आईसीसी ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए इंग्लैंड को 135 मिलियन अमेरिकी डॉलर का बजट दिया था, जबकि इसी साल भारत में हुए टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भारत को महज 45 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए गए थे। इसी को लेकर बीसीसीआई और आईसीसी के बीच विवाद पैदा हो गया था।