वीरेंद्र सहवाग भारतीय क्रिकेट में अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। क्रिकेट ग्राउंड पर अपनी शैली व पहाड़ जैसे खड़े किए रिकार्ड्स की बदौलत वीरेंद्र सहवाग विश्व के के महानतम बल्लेबाजों में शुमार किए जाते हैं। वीरेंद्र सहवाग फैनैटिक स्पोर्ट्स म्यूजियम में बोरिया मजूमदार की किताब ‘इलेवन गॉड्स एंड बिलियन इंडियंस’ के बंगाली वर्जन की लॉन्चिंग के मौके पर मौजूद थे। इस कार्यक्रम में बातचीत के दौरान सहवाग ने कई विस्फोटक बातें बताईं जो भारतीय क्रिकेट की अंदरुनी राजनीति को बयां करता है। उन्होंने बताया कि किस तरह ग्रेग चैपल टीम में राजनीति करते थे। चैपल को को मई 2005 में भारत का कोच बनाया गया था और एक साल बाद जिम्बाब्वे दौरे के दौरान सौरभ गांगुली को कप्तानी से हटा दिया था। 2005 जिम्बाब्वे दौरे के दौरान सौरभ गांगुली के खिलाफ तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल का ईमेल सबसे पहले उन्होंने देखा था। उन्होंने कहा, ग्रेग अपना ईमेल लिख रहे थे और मैं उनके बगल में बैठा था। मैंने देखा कि वह बीसीसीआई को कुछ लिख रहे थे और मैंने दादा को जाकर इसके बारे में बताया। मैंने कहा कि वह बीसीसीआई को लिख रहे हैं और यह बहुत ही गंभीर मामला है।
चैपल की गंदी पॉलिटिक्स के बारे में सचिन तेंडुलकर की आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ में भी लिखा गया है, जिसमें हरभजन सिंह ने कहा है, ‘भारतीय क्रिकेट को इतनी क्षति पहुंचाई कि उससे उबरने में कम से कम 3 वर्ष का समय लग गया।
कार्यक्रम के दौरान सहवाग ने बड़ा ही मजेदार किस्सा साझा किया। लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि सहवाग जब टीम में चुने गए थे तो वह मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते थे। लेकिन तत्कालीन भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली ने उन्हें ओपनिंग में उतारा और उसके बाद सहवाग की बल्लेबाजी की पूरी कहानी ही बदल गई और वह दुनिया के सबसे विध्वंसक ओपनरों में गिने जाने लगे। हालांकि सहवाग इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे। उन्हें यह बात शुरु शुरु में नागवार गुजरी। लेकिन फिर जो हुआ वह इतिहास रच गया। उन्होंने बताया कि साल 2002 के इंग्लैंड दौरे पर गांगुली और कोच जॉन राइट चाहते थे कि मैं टेस्ट मैच में पारी की शुरुआत करूं। लेकिन मैं इसके लिए तैयार नहीं था। गांगुली ने मुझसे कहा कि तुमने कुछ वनडे में ओपनर के तौर पर बल्लेबाजी की है और तुमने भी ओपनर के तौर पर ही अपना करियर शुरु किया था। फिर तुम पारी की शुरुआत क्यों नहीं करते और मैं मध्यक्रम में बल्लेबाजी करूंगा। इस पर गांगुली ने नाराज होते हुए कहा था कि ‘अगर तुम टेस्ट क्रिकेट खेलना चाहते हो तो वहां एक ही जगह खाली है। सवाल मत करो और और अगर तुम ओपनिंग नहीं करना चाहते तो बेंच पर बैठो। क्योंकि टीम में तुम्हारे लिए यही एक जगह है।
लेकिन गांगुली के प्रति उनके मन मे जरा भी कड़वाहट नहीं दिखी। उन्होंने अपने क्रिकेट के सबसे यादगार पल के लिए सौरव गांगुली को धन्यवाद कहा। यह पूछे जाने पर कि एक क्रिकेटर के तौर पर उनके लिए सबसे यादगार पल कौन था? सहवाग ने कहा, ‘मेरा पहला टेस्ट शतक।’ सहवाग ने 2001 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 105 रन बनाए थे। सहवाग ने आगे कहा, ‘जब मैं वनडे खेलता था तो लोग यह कहते थे कि मैं टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल सकता। इसलिए जब मैं पहला शतक लगाया तो गांगुली को गले लगाया क्योंकि उन्होंने मुझे टेस्ट क्रिकेट में खेलने का मौका दिया।