Phool Holi: मथुरा का नाम सुनते ही दिमाग में वृंदावन, बरसाना, बांकेबिहारी मंदिर और होली के रंगों की तस्वीर आती है। मथुरा की होली विश्व प्रसिद्ध है। क्योंकि यहां पर 8 तरह की होली होती है। मथुरा में होली 10 मार्च से ही शुरू हो गई है। होली की शुरुआत लड्डू होली से होती है, उसके बाद लट्ठमार होली, फूलों की होली, इत्र की होली इसी तरह 8 तरह की होली मनाई जाती है। 14 मार्च को फूलों की होली खेली जाएगी। यहां पर टेसू के फूलों की होली खेली जाती है और चारों तरफ गुलाल-अबीर लपेट कर लोग सराबोर रहते हैं। टेसू के फूलों से तैयार रंग को लाड़ली मंदिर में नंदगांव के हुरियारों पर डाला जाता है।
Phool Holi: फूल की होली है खास
वृंदावन की फूलों की होली देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग लाड़ली मंदिर में जुटते हैं। इसके लिए बांके बिहारी मंदिर के द्वार खोले जाते हैं।
इसी बहाने लोगों को कृष्ण भगवान को निहारने का पूरा मौका मिलता है। मंदिर में लोगों पर पुजारी फूल फेंकते हैं। इसी तरह फूलों की होली मनाई जाती है।
इस दिन बांके बिहारी मंदिर में भव्य उत्सव होता है। लोग एक दूसरे को जमकर रंग लगाते हैं। फेंके जा रहे फूलों के बीच लोग जमकर डांस भी करते हैं।
Phool Holi कान्हा के साथ होली का रंग
कान्हा की भक्ति में विलीन भक्त फूलों की होली का लुत्फ उठाते हुए खूब नाचते गाते हैं। पुजारी जी भक्तों पर फूल फेंकर उन्हें और उत्साहित करते हैं।
मथुरा की गलियों में होली के 10 दिन पहले से ही होली का रंग दिखान देने लगता है। गलियां रंगों से रंगी रहती हैं।
फूल की होली खेलने के लिए भक्त कान्हा और राधा रानी की तरह कपड़े पहनकर मंदिर में पहुंचते हैं। भक्तों के साथ होली के रंग में रंग जाते हैं।
लट्ठमार होली खेलने के लिए सजी-धजी महिलाएं लाठी लेकर पुरुषों पर वार करती हैं। अपने बचाव के लिए पुरुष समान साथ रखते हैं जिसे आप तस्वीरों में देख सकते हैं। सुहागिन महिलाएं शादी के जोड़े में 16 श्रृंगार कर के लट्ठमार होली खेलती हैं।
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