Navratri 2021 : आज से शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) का शुभ पर्व शुरू हो रहा है। नवरात्रि (Navratri) में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष के नवरात्रि के 9 दिनों के व्रत का विशेष महत्व होता है। कुछ लोग पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं। जबकि कई लोग पूरे 9 दिन व्रत रखते हैं। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री (Shailputri) की पूजा होती है।
Shailputri की कहानी
एक बार जब सती अपने पिता प्रजापति दक्ष के आयोजित यज्ञ में बिना किसी निमंत्रण के चली गईं लेकिन सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उनको स्नेह किया। बाकी लोगों में भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव था। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को दुख पहुंचा। वे अपने पति का यह अपमान सह न सकीं और अग्नि द्वारा अपने आप को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने तांडव करते हुये उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यहीं से सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी और शैलपुत्री कहलाईं। शैलपुत्री का विवाह फिर से भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिव की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।
शैलपुत्री पूजन विधि
दुर्गा को मातृ शक्ति यानी स्नेह, करूणा और ममता का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है। कलश स्थापना से इनकी पूजा शुरू की जाती है। इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और कलश में उन्हें विराजने के लिए प्रार्थना सहित उनका आहवान किया जाता है।
मां शैलपुत्री के मंत्र
मंत्र- वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
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