Jyeshtha Maas 2023: अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, 06 मई 2023 से ज्येष्ठ महीने की शुरुआत हो गई है, जो 04 जून को समाप्त होगा। इसके बाद 05 जून से आषाढ़ के महीने की शुरुआत होगी। यह हिंदू कैलेंडर के हिसाब से तीसरा महीना है। इस माह में वरुण देव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ज्येष्ठ के महीने में पानी से जुड़े व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। इस साल गंगा दशहरा 30 मई, मंगलवार को और निर्जला एकादशी 31 मई, बुधवार को मुख्य रूप से मनाई जाएगी।आइये जानतें हैं इस माह से जुड़ी कुछ विशेष बातें…
Jyeshtha Maas 2023: क्यों कहते है इसे ज्येष्ठ माह?
ज्येष्ठ के महीने में गर्मी अपने चरम सीमा पर रहती है। इस महीने बाकी माह की तुलना में बड़े दिन होते हैं। इसलिए सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है। ज्येष्ठ के महीने में धर्म का संबंध पानी से जोड़ा गया है ताकि जल को बचाया जा सके।
शास्त्रों में इसी माह में जल के संरक्षण का महत्व बताया गया है। ज्येष्ठ मास में जल के दान को बहुत बड़ा पुण्य माना गया है। इस महीने को लेकर मान्यता यह भी है कि इनदिनों कुछ ऐसे कार्य किए जाते हैं, जिनको करने से भाग्य को मजबूती मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस माह में सूर्य का तेज अधिक होता है। कहा जाता है कि इस बीच कुछ कार्यों को करने से आप सूर्य देव की कृपा पा सकते हैं।
Jyeshtha Maas 2023: क्यों पवनपुत्र हनुमान की पूजा के लिए विशेष है यह माह?
ज्येष्ठ के महीने में भगवान राम से पवनपुत्र हनुमान की मुलाकात हुई थी। इस कारण ये महीना हनुमान जी की पूजा के लिए बहुत अनूठा है। ज्येष्ठ में भगवान श्रीराम के साथ भगवान हनुमान जी की पूजा करना शुभ होता है। बता दें कि इस महीने बड़े मंगलवार का पर्व मनाया जाता है, जिसमें बजरंगबली की विशेष पूजा की जाती है।
क्या है ज्येष्ठ माह का वैज्ञानिक महत्व?
ज्येष्ठ माह में वातावरण और जल का स्तर गिरने लगता है, इसलिए इस माह में सभी को जल का सही उपयोग ही करना चाहिए। इसके साथ ही खान-पान और हीट स्ट्रोक की बीमारियों से बचाव आवश्यक है। इस माह में हरी सब्जियां, जल वाले फलों और सत्तू का सेवन करना चाहिए। इस माह में दोपहर के समय आराम करना भी लाभदायक माना जाता है।
Jyeshtha Maas 2023: ज्येष्ठ माह में क्या करें और क्या न करें?
ज्येष्ठ माह को लेकर शास्त्रों में सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य देव की कृपा पाने के लिए नियमित रूप से स्नान के बाद ही सूर्यदेव को जल अर्पित करें और उनके मंत्र का जाप करें। पंडितों के अनुसार, ज्येष्ठ माह में सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए रविवार के दिन व्रत रखें। ध्यान रहे, इस दिन नमक नहीं खाया जाता है। इसलिए रविवार का दिन मीठा भोजन करके ही प्रारम्भ करें।
ज्येष्ठ मास में हर दिन घर के मंदिर पूजा-पाठ करनी चाहिए। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करें। खासतौर से शिव जी के लिए ‘ऊँ नम: शिवाय’, विष्णु जी के लिए ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’, श्रीकृष्ण के लिए ‘कृं कृष्णाय नम:’, हनुमान जी के लिए ‘श्री रामदूताय नम:’ और देवी मां के लिए ‘दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जप कर सकते हैं।
- इस समय राहगीरों को पानी जरूर पिलाना चाहिए।
- शिवलिंग पर जल अवश्य चढ़ाएं।
- इस समय गायों के हरी घास खिलाए।
- इस महीने में जरूरतमंद लोगों को छाते, अन्न, पेय वस्तुओं आदि का दान भी किया जा सकता है जिसे बहुत ही शुभ माना गया है।
- ज्येष्ठ के महीने में मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए और प्रयास करें दिन में एक ही बार भोजन करें।
- इस महीने में बैंगन के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इसका सेवन संतान के लिए शुभ नहीं माना गया है।
- जल की बर्बादी बिल्कुल न करे साथ ही इस महीने में घड़े और पंखों का दान करें।
- अगर आपको सूर्य संबंधी कोई भी परेशानियां है तो ज्येष्ठ माह के हर रविवार को उपवास रखें।
- चूंकि इस महीने में गर्मी का प्रकोप रहता है तो ज्यादा घूमना-फिरना सेहत के लिए हानिकारक है। जितना संभव हो सके, घर में ही रहना चाहिए।
ज्योतिष के अनुसार, इस माह में पशु-पक्षियों के दाने और पानी की व्यवस्था जरूर करें। ऐसा करने से ईश्वर आप पर कृपा बरसाएंगे। इस महीने में जल की पूजा का विशेष महत्व है। इसलिए इस माह में दो बड़े व्रत गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी का व्रत अवश्य रखें। इसके अलावा ज्येष्ठ माह में तिल का दान शुभ फल दाई है।
Jyeshtha Maas 2023: जानें ज्येष्ठ माह के व्रत और त्योहार-
06 मई, शनिवार- ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष आरंभ
07 मई, रविवार- देवर्षि नारद जयंती
09 मई, मंगलवार- अंगारकी चतुर्थी
12 मई, शुक्रवार- शीतलाष्टमी
15 मई, सोमवार- अपरा एकादशी
17 मई, बुधवार- प्रदोष व्रत
19 मई, शुक्रवार- वट सावित्री व्रत, शनि जयंती
20 मई, शनिवार- ज्येष्ठ मास शुक्लपक्ष प्रारंभ, करवीर व्रत
22 मई, सोमवार- पार्वती पूजा
23 मई, मंगलवार- वैनायकी गणेश चतुर्थी
24 मई, बुधवार- श्रुति पंचमी
30 मई, मंगलवार- गंगा दशहरा
31 मई, बुधवार- निर्जला एकादशी
1 जून, गुरुवार- चंपक द्वादशी
4 जून, रविवार- पूर्णिमा, संत कबीर जयंती
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