Janmastami 2022: श्रीकृष्ण की भक्ति के समान उनकी शक्ति भी है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु जी के 8वें अवतार ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ हैं। सनातनी संस्कृति के युगदृष्टा, प्रवर्तक, मार्गदर्शक, प्रेमी और सखा। सही अर्थों में देखा जाए तो मनुष्य जीवन का असली रूप और उनका महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने ही बताया। यही वजह है कि इन्हें भक्त पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। जो इनकी भक्ति में ऐसे रमते हैं कि दुनियादारी को भूल बैठते हैं। कोई इन्हें कृष्ण, कोई ठाकुर जी, कोई लल्ला तो कोई दीनानाथ कहकर पुकारता था।आगामी 19 अगस्त को पूरा विश्व इनका जन्मदिन यानी जन्माष्टमी का पर्व मनाएगा। आइये जानते हैं श्रीकृष्ण जी से जुड़ी दिलचस्प बातें।
Janmastami 2022: श्रीकृष्ण यानी एक मार्गदर्शक और बहुत कुछ………
- भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश के यमुना तट के समीप बसे मथुरा जिले में हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण का पूर्ण परमात्मा होना ही उनकी शक्ति का स्तोत्र है। वे विष्णु जी के 8वें अवतार थे। उन्हें सभी अवतारों में पूर्णावतार माना जाता है।
- श्रीकृष्ण को 14 विद्या, 16 आध्यात्मिक और 64 सांसरिक कलाओं में पारंगत माना जाता है। इन्हें जगदगुरु और जग के नाथ और जगन्नाथ भी कहा जाता है।
- श्रीकृष्ण का जन्म एक रहस्य है, क्योंकि जेल में उनका जन्म हुआ। 8वें मन वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के 8वें मुहूर्त में सबसे शुभ लग्न में हुआ।
- Janmastami 2022 : उन्होंने शून्य काल में अवतार लिया। उस लग्न पर केवल शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि। उन्होंने अपने मृत्यु का चयन भी तब किया, जब उन्हें अपने धाम जाना था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब उन्होंने श्रीराम के अवतार में बाली को छुपकर तीर मारा था। ठीक कृष्णावतार में उसी को जरा नामक बहेलिया बनाया और अपने लिए वैसी ही मृत्यु चुनी, जैसी बाली को दी थी।
- श्रीकृष्ण ने गोपियों, द्रौपदी, राधा, रूक्मिणी, सत्यभामा को मोक्ष प्रदान किया। उन्हें सही अर्थों में ज्ञान की प्राप्ति हुई। वहीं मीराबाई, संतसूरदास, नरसिंह भगत समेत कई भक्तों की नैया पार लगाई।
- उन्होंने अक्रूर, उद्धव, राजा मुचुकुंद,शिशुपाल, अर्जुन और माधवदास को भी अपना विराट स्वरूप दिखाया। गीता का ज्ञान देकर सही मार्ग दिखाया।
- Janmastami 2022 : प्राचीन कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण के प्रपौत्र व्रजनाभ ने ही सर्वप्रथम उनकी स्मृति में केशवदेव मंदिर की स्थापना की।
- काल के थपेड़ों ने जब मंदिर को जीर्ण-शीर्ण कर दिया तो करीब 400 वर्ष बाद गुप्त सम्राट विक्रमादित्य ने उसी स्थान पर भव्य मंदिर बनवाया। इसका वर्णन भारत यात्रा पर आए चीनी यात्रियों फाहियान और हेनसांग ने भी किया है।
- 1017-18 ईसा पूर्व महमूद गजनवी ने मथुरा को उजाड़ने का प्रयास किया। यहां के समस्य मंदिर तुड़वा डाले, लेकिन उसके लौटते ही मंदिर बन गए।
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