Holi 2022: भारत त्योहारों और संस्कृतियों का देश है। भारत में हर त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। अब बात अगर होली की करें तो होली सबसे बेस्ट फेस्टिवल में से एक है। होली की खासबात ये है कि इसे सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है। होली को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग अपने गिले-शिकवे भूलाकर एक हो जाते है। दो साल से होली कोरोना की वजह से थोड़ी फीकी पड़ गई थी पर इस साल बड़े ही धूमधाम से इसे मनाया जाएगा। इस दिन लोग लोग नाचते हैं, खाते हैं और एक-दूसरे पर रंग फेंकते हैं। साथ ही इस दिन को मनाने के लिए स्पेशल गेट टुगेदर, पार्टियों का आयोजन भी किया जाता है। इस लेख में आज हम हम आपको होली का शुभ मुहूर्त और होली क्यों मनाई जाती है इसे बताने जा रहे है।
Holi 2022 की तारीख क्या है?
इस बार होली 18 मार्च, 2022 (शुक्रवार) को है। जबकि, होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाएगा, जो 17 मार्च, 2022 को है।

होली 2022 का समय क्या है?
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 17 मार्च 2022 को सुबह 1 बजकर 29 मिनट से
पूर्णिमा तिथि का समापन: 18 मार्च, 2022 को 12:47 पर
होली का इतिहास क्या है?
होली का त्योहार काफी प्राचीन समय से मनाया जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण की सबसे पसंदीदा त्योहार होली थी। इसका वर्णन भारत की बहुत से पवित्र पौराणिक पुस्तकों में भी किया गया है। होली से एक दिन पहले पार्कों, सामुदायिक केन्द्रों, मंदिर परिसर आदि में होलिका दहन की जाती है। हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। इसे छोटी होली भी कहा जाता है। साथ ही लोग इस दिन अलग-अलग प्रकार के व्यंजन भी बनाए जाते हैं जैसे गुजिया, मिठाई, मठ्ठी, मालपुआ, चिप्स आदि।

होली की सबसे प्रमुख कहानी प्रह्लाद और हिरण्कश्यप की है। ऐसा माना जाता है कि हिरण्कश्यप एक महाबलशाली राक्षस था जिसे ब्रह्म देव से वरदान मिल चुका था। इस वरदान के कारण यह असुर काफी ज्यादा घमंडी हो गया था। ब्रह्म देव ने हिरण्कश्यप को यह वरदान दिया था कि उसे न नर मार पाएगा न ही जानवर, न आकाश में न पाताल में, न दिन में न रात में, न ही घर में और न ही बाहर। इसके बाद से वह खुद को ही देवता मानने लगा। हिरण्कश्यप का एक पुत्र था प्रह्लाद, वह बचपन से ही भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्कश्यप ने बहुत प्रयास किया कि उसका बेटा भगवान की पूजा करना छोड़ दें लेकिन वो हर बार असफल रहता था। उसे अपने पुत्र से नफरत हो गई थी।

हिरण्कश्यप ने बहन होलिका को आदेश दिया कि वो चादर ओढ़कर आग के बीच में प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ जाएं जिसमें चादर की वजह से वह तो बच जाएगी पर उसका बेटा जल कर मर जाएगा। अपने भाई के आदेश का पालन करते हुए होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसके चारों ओर आग की लपटें फैला दी गई। प्रह्लाद लगातार भगवान विष्णु का जाप करता रहा और भगवान के आशीर्वाद से एक तेज तूफान आया। इस तूफान की वजह से वो चादर होलिका के शरीर से उड़ कर प्रह्लाद पर आ गई जिससे होलिका जल कर राख हो गई और प्रह्लाद को आग ने छुआ तक नहीं।
होलिका की मृत्यु हो गई। इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध किया।

होली का क्या महत्व है?
होली को रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। यह एक प्राचीन हिंदू त्योहार है,यूं तो होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है लेकिन इसे हर जगह हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं। एक दो दिन पहले से ही हर तरफ इसके रंग से रंगे लोग नजर आने लगते हैं। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है। इस दिन लोग खुशी फैलाते हैं और लोगों के बीच प्यार फैलाते हैं।
संबंधित खबरें:
- Holi Story: आखिर क्यों किया जाता है होलिका दहन, यहां पढ़े प्रह्लाद और होलिका की पूरी कथा
- Bhojpuri Holi Song: होली के जश्न में Nirahua और Amrapali Dubey का रंगों वाला रोमांस, वायरल हुआ ‘होलिया में लागे बड़ी डर’ का वीडियो