Gayatri Jayanti 2022: हिंदू सनातन संस्कृति में माता गायत्री का स्थान बेहद अहम है। इन्हें ही भारतीय संस्कृति की जन्मदात्री या आधार माना जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार, गायत्री जयंती का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इसी तिथि को वेदों की जननी वेद माता गायत्री की उत्पत्ति हुई थी। हालांकि गायत्री जयंती के बारे में अनेक मत हैं।
कुछ लोग इसे गंगा दशहरा को ही मानते हैं. वहीं कुछ लोग गायत्री जयंती को हर साल श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाते हैं।इस साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 जून दिन शनिवार को पड़ रही है। इस दिन निर्जला एकादशी भी है। निर्जला एकादशी के दिन लोग बिना जल ग्रहण किये व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
Gayatri Jayanti 2022: जानिये गायत्री जयंती 2022 शुभ मुहूर्त
- ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि प्रारम्भ: 10 जून 2022, शुक्रवार 07:25 AM
- ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त: 11 जून 2022, शनिवार 05:45 AM
Gayatri Jayanti 2022: महाशक्तिशाली है गायत्री का जाप
गायत्री का जाप सभी मंत्रों में महाशक्तिशाली माना जाता है। कहते हैं इसके स्मरण मात्र से ही व्यक्ति के सभी संकट खत्म होते हैं और भाग्योदय होता है। गायत्री जयंती के दिन व्यक्ति को प्रातःकाल उठकर स्नान आदि से निवृत होकर सर्वप्रथम सूर्य देव को तांबे के लोटे में शुद्ध जल अर्पित करें। इसके बाद सूर्य को देखते हुए गायत्री के विशेष मंत्र का उच्चारण करें।
सूर्य देव को प्रणाम करते हुए 11 परिक्रमा करें और पुन: उन्हें प्रणाम करते हुए आशीर्वाद लें। इसके बाद घर के पूजा स्थल पर जाएं। पूजा चौकी पर माता गायत्री की प्रतिमा स्थापित कर गंगा जल से शुद्धीकरण करें। इसके बाद स्वयं पर पवित्र जल का छींटा डालें। माता गायत्री की प्रतिमा को अक्षत, पुष्प, मीठा, चंदन आदि चढ़ाए। धूप-दीप जलाएं। इसके बाद अब गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें. अंत में गायत्री चालीसा और आरती पढ़ें। अंत में विसर्जन करते हुए हाथ जोड़कर प्रणाम करें और प्रसाद वितरित करें।
Gayatri Jayanti 2022: जानिये क्या है गायत्री मंत्र ?
गायत्री मंत्र ‘ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।। ‘ को अत्यंत प्रभावी मंत्रों में से एक माना गया है। इस मंत्र का अर्थ होता है कि ‘सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, परमात्मा का वह तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।
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