Dev Uthani Ekadashi 2022: साल का सबसे बड़ा देवउठनी एकादशी व्रत है आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और कैसे पढ़े कथा…

देवउठनी एकादशी के दिन लोग भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत-उपवास भी करते हैं। इस व्रत का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन व्रत व पूजन करने से जातकों को सभी प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है। अगर आप देवउठनी एकादशी के दिन व्रत कर रहे हैं तो आपको व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए।

0
181
Dev Uthani Ekadashi 2022: साल का सबसे बड़ा देवउठनी एकादशी व्रत है आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और कैसे पढ़े कथा…
Dev Uthani Ekadashi 2022: साल का सबसे बड़ा देवउठनी एकादशी व्रत है आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और कैसे पढ़े कथा…

Dev Uthani Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है और मान्यता है कि इसी दिन से मांगलिक कार्यों की भी शुरुआत होती है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी चार माह की योग निंद्रा से उठते ही और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी के दिन व्रत-उपवास भी किया जाता है और मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य को कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इस साल देवउठनी एकादशी आज यानि 4 नवंबर 2022 को है। तो आइए इस लेख में आपको बताते हैं कि पूजा का शुभ मुहूर्त और सही विधि क्या है।

हिंदू धर्म में हर महीने 2 और साल में कुल 24 एकादशियों के व्रत आते हैं। इसमें देवउठनी एकादशी को सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण एकादशी माना गया है क्योंकि देवउठनी एकादशी से ही हिंदू धर्म में सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।

Dev Uthani Ekadashi 2022
Dev Uthani Ekadashi

Dev Uthani Ekadashi 2022 का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, 3 नवंबर 2022 को शाम 7 बजकर 30 मिनट पर एकादशी तिथि प्रारंभ हो चुका है और इसका समापन 4 नवंबर 2022 को शाम 6 बजकर 8 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

Dev Uthani Ekadashi 2022
Dev Uthani Ekadashi

Dev Uthani Ekadashi की पूजा विधि

देवउठनी एकादशी पर शाम के समय भगवान विष्णु को निद्रा से उठाया जाता है और इस दौरान घर की महिलाएं आंगन में चूना और गेरू से रंगोली बनाती हैं। फिर गन्ने से मंडप बनाकर भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप का पूजन करती हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही तुलसी का भी विधि-विधान से पूजा किया जाता है। इसके बाद 11 दीपक जलाएं जाते हैं और थाली बजाकर भगवान विष्णु को जगाया जाता है।

इसे देवउठनी एकादशी या देवउत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु अपनी चार माह की योग निंद्रा से जागकर धरती पर अपना कार्यभार संभालते हैं। इस दिन से ही शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।

देवउठनी एकादशी के दिन लोग भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत-उपवास भी करते हैं। इस व्रत का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन व्रत व पूजन करने से जातकों को सभी प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है। अगर आप देवउठनी एकादशी के दिन व्रत कर रहे हैं तो आपको व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए।

Dev Uthani Ekadashi 2022
Dev Uthani Ekadashi

Dev Uthani Ekadashi व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक राजा के राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत रखा करते थे। यहां तक कि राज्य के पशु भी इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया करते थे। तभी उस राज्य में एक दूसरे राज्य से एक व्यक्ति आया। उसने कहा हे राजन! मुझे काम की आवश्यकता है और अगर आप मुझे नौकरी पर रख लें तो आपका बहुत आभार होगा। राजा ने कहा ठीक है, मैं तुम्हें नौकरी जरूर दूंगा, लेकिन एक शर्त माननी होगी। शर्त यह है कि इस राज्य में सभी एकादशी का व्रत करते हैं और इस व्रत को रखना अनिवार्य है, जिसका तुम्हें भी पालन करना होगा। इस दिन तुम अन्न ग्रहण नहीं कर सकते। व्यक्ति ने कहा कि मुझे आपकी शर्त मंजूर है।

कुछ दिनों बाद एकादशी आई और राज्य के सभी लोगों के साथ उस व्यक्ति ने भी एकादशी का व्रत किया। लेकिन, जैसे-जैसे दिन गुजरता गया, उस व्यक्ति को तेज भूख लग रही थी और वह राजा के पास पहुंचा। उसने राजा से कहा कि हे राजन सिर्फ फल से मेरा पेट नहीं भर रहा है और मैं अन्न खाना चाहता हूं, अन्यथा मैं मर जाऊंगा। यह सुनकर राजा ने उसे अन्न दे दियावह नित्य की तरह नदी पर पहुंचा और स्नान कर भोजन पकाने लगा। जब भोजन बन गया तो वह भगवान को बुलाने लगा- आओ भगवान! भोजन तैयार है। बुलाने पर पीताम्बर धारण किए भगवान चतुर्भुज रूप में आ पहुंचे तथा प्रेम से उसके साथ भोजन करने लगे। भोजनादि करके भगवान अंतर्धान हो गए तथा वह अपने काम पर चला गया।

Dev Uthani Ekadashi 2022
साल का सबसे बड़ा Dev Uthani Ekadashi व्रत है आज

अगली एकादशी को वह राजा से कहने लगा कि महाराज, मुझे दुगुना सामान दीजिए। उस दिन तो मैं भूखा ही रह गया। राजा ने कारण पूछा तो उसने बताया कि हमारे साथ भगवान भी खाते हैं। इसीलिए हम दोनों के लिए ये सामान पूरा नहीं होता। यह सुनकर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। वह बोला- मैं नहीं मान सकता कि भगवान तुम्हारे साथ खाते हैं। मैं तो इतना व्रत रखता हूं, पूजा करता हूं, पर भगवान ने मुझे कभी दर्शन नहीं दिए और तुम्हें दे दिए। ऐसा कैसे संभव है?

राजा की बात सुनकर वह बोला- महाराज! यदि विश्वास न हो तो साथ चलकर देख लें। राजा एक पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया। उस व्यक्ति ने भोजन बनाया तथा भगवान को शाम तक पुकारता रहा, परंतु भगवान नहीं आए। अंत में उसने कहा- हे भगवान! यदि आप नहीं आए तो मैं नदी में कूदकर प्राण त्याग दूंगा। लेकिन भगवान नहीं आए, तब वह प्राण त्यागने के उद्देश्य से नदी की तरफ बढ़ा। प्राण त्यागने का उसका दृढ़ इरादा जान शीघ्र ही भगवान ने प्रकट होकर उसे रोक लिया और साथ बैठकर भोजन करने लगे। खा-पीकर वे उसे अपने विमान में बिठाकर अपने धाम ले गए।

यह देख राजा ने सोचा कि व्रत-उपवास से तब तक कोई फायदा नहीं होता, जब तक मन शुद्ध न हो। इसलिए व्रत के साथ यह भी जरूरी है कि अपना मन शुद्ध रखा जाए। वह भी मन से व्रत-उपवास करने लगे और अंत में स्वर्ग को प्राप्त हुए।

संबंधित खबरें…

Aja Ekadashi 2022: अजा एकादशी में जपें श्री‍हरि का नाम, पिशाच योनी से मिलेगी मुक्ति, जानें व्रत की तिथि और मुहूर्त

जमाना बदला लेकिन नहीं बदला जनेऊ बनाने का तरीका, कुमाऊं में घरों पर ही बनती है Janeu, जानिये कैसे तैयार करते हैं इसका धागा ?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here