Dasha Mata Vrat: चैत्र माह के प्रमुख व्रतों में से एक दशा माता का व्रत आगामी 17 मार्च को रखा जाएगा।पंचांग के अनुसार होली के 10वें दिन और कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता की पूजा करने का विधान है।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन महिलाएं व्रत रखकर घर एवं बच्चों पर आई विपदा का हरण करने की प्रार्थना करतीं हैं।खासतौर से सुहागन महिलाएं अपने घर की दशा को सुधारने के साथ सुख और समृद्धि में भी वृद्धि की प्रार्थना भी करतीं हैं।ऐसी मान्यता है कि दशा माता के प्रसन्न होने मात्र से जातक की सभी परेशानियों का अंत होता है। आइए जानते हैं दशा माता के व्रत से जुड़ी जरूरी बातें यहां।
Dasha Mata Vrat: सफाई का बेहद ध्यान रखें
Dasha Mata Vrat: दशा माता जी के व्रत में सफाई का बहुत ध्यान रखा जाता है। इस दिन साफ- सफाई से संबंधित वस्तुएं खरीदने का भी बहुत अधिक महत्व होता है। खासतौर से झाड़ू खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके साथ ही पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। पीपल की छाल को उतारकर घर लाया जाता है। इसके बाद इसे सोना मानकर तिजोरी के अंदर संभालकर रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि पीपल की छाल घर में रखने से पूरे वर्ष घर में धन की कमी नहीं रहती।
Dasha Mata Vrat: जानिए दशा माता जी के व्रत की पूजन विधि
Dasha Mata Vrat: इस दिन पूजा-अर्चना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 9.45 से 11.13 बजे तक है।अमूमन यह व्रत होली के 10वें दिन किया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं होली के बाद पूरे 10 दिन तक दशा माता की व्रत कथाएं सुनी जाती हैं।
इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है।सुहागिन महिलाएं 10 कच्चे तार का धागा हल्दी में डुबोती हैं। इस धागे में 10 गांठें लगाई जाती हैं। इसे बाद में अपने गले में धारण किया जाता है।इस व्रत में एक समय भोजन करने का नियम है।दशा माता जी के व्रत वाले दिन प्रात: काल नहाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के दिन खरीदारी करने से बचें। ऐसे में एक दिन पहले ही खरीदारी कर लें।इस दिन नमक खाना भी वर्जित होता है।
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