Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी 2023 के मौके पर देवी सरस्वती जी की पूजा का महत्व खास होता है।आज यानी गुरुवार को पूरा देश 74वां गणतंत्र दिवस के साथ ही बसंत पंचमी भी मना रहा है।सनातन धर्म में बसंत पंचमी की पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है।हमारे पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।इस वर्ष बसंत पंचमी की पूजा 26 जनवरी 23 को मनाई जा रही है।
इस दिन ज्ञान और वाणी की देवी मां शारदा की पूजा अर्चना की जाती है।हमारे शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु और भगवान शिव के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती को इसी दिन प्रकट किया था। बसंत पंचमी सरस्वती मां के जन्मदिन को रूप में मनाया जाता है।ऐसे में इस दिन प्रात: काल अपने सभी कार्यों को पूरा करने के बाद देवी की पूजा विधि-विधान से करें।
Basant Panchami 2023: देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए ये प्रार्थना जरूर करें
Basant Panchami 2023: विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती जी की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में इनकी पूजा-अर्चना के बाद प्रार्थना जरूर करें।इसकी रचना महान छायावादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने की थी।आइये जानते हैं इस प्रार्थना के बारे में यहां।
वर दे वीणावादिनि वर दे।
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
।।भारत में भर दे।।
काट अंध-उर के बंधन-स्तर।
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर,
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर,
जगमग जग कर दे,
वर दे वीणावादिनि वर दे,
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
।।भारत में भर दे।।
नव गति नव लय, ताल-छंद नव,
नवल कंठ नव जलद-मन्द्ररव,
नव नभ के नव विहग-वृंद को,
नव पर नव स्वर दे,
वर दे वीणावादिनि वर दे,
वर दे, वीणावादिनि वर दे,
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
।।भारत में भर दे।।
Basant Panchami 2023: जानिए पूरी कविता का सार
इस कविता के जरिए कवि देवी सरस्वती से प्रार्थना करते हुए कह रहे हैं कि हे वीणा का वादन करने वाली मां सरस्वती ! तुम हमें ऐसा वरदान दो, मेरे देश के नागरिकों में स्वतन्त्रता की भावना का अमृत (अमर) मंत्र भर दो। समस्त भारतवासियों को अंधकार से भरे हृदय के सभी बंधनों की तहों को काट दो। दूर कर दो और ज्ञान का स्रोत अविरल बहा दो। हमारे अंदर जितने क्लेश रुपी दोष और अज्ञानता है, उनका नाश करो। हमारे हृदय में ज्ञान रुपी प्रकाश भर दो।इस समूचे संसार को जगमगा दो।सभी भारतवासियों को नवीन उन्नति (गति), नवीन तान (लय), नवीन ताल एवं नवीन गीत (छन्द), नवीन स्वर और मेघ के समान गंभीर स्वरूप को प्रदान करो। नवीन आसमान में विचरण अर्थात उड़ने वाले इन नए-नए पक्षियों को नवीन पंख प्रदान कर नवीन कलरव को प्रदान करो।
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