अन्नपूर्णा माता (Annapurna Mata) को भोजन की देवी कहा जाता है। सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है जिसमें हर उस चीज को भगवान का दर्जा दिया गया है जिससे मनुष्य जुड़ा हुआ है। इन्हीं में से एक हैं अन्न देवी जिनके लिए इंसान हर दिन कठोर परिश्रम करता है। आज अन्नपूर्णा जयंती है। हर साल मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। अन्नपूर्णा जयंती (Annapurna Jayanti) माता पार्वती को समर्पित है। इस बार अन्नपूर्णा जयंती 19 दिसंबर को मनाई जा रही है।
अन्नपूर्णा जयंती पूजा विधि
आजे के दिन घर में रसोई को अच्छी तरह धो कर साफ किया जाता है। घर के चुल्हे को धोकर उसकी पूजा की जाती है। घर की रसोई को गंगा जल या फिर गुलाब जल से पवित्र किया जाता है। अन्नपूर्णा जयंती पर माता गौरी, भगवान शिव और पार्वती माता की पूजा अर्चना की जाती है।
अन्नपूर्णा माता की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार काशी में अकाल पड़ गया और लोग भुख से परेशान हो गए। ऐसे में भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए माता अन्नपूर्णा से मदद मांगी। तब माता ने भगवान शंकर को वचन दिया कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोएगा। ऐसी मान्यता है कि काशी में आने वाले हर किसी को माता के आशीर्वाद से अन्न प्राप्त होता है और कोई भी भुखा नहीं रहता।
अन्नपूर्णा जयंती का महत्व
अन्नपूर्णा जयंती मनाने का मुख्य लक्ष्य लोगों को अन्न के महत्व के बारे में बताना होता है। हम सब ने बचपन से सुना है कि अन्न का कभी भी निरादर नहीं करना चाहिए और बर्बादी से बचाना चाहिए। मान्यता है कि आज के दिन अन्न का दान करने से माता अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर हमेशा अपनी कृपा बना कर रखती हैं। भूखे को खाना खिलाने से परिवार में हमेशा बरक्कत बनी रहती है।
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