राजस्थान का भानगढ़ किला सिर्फ एक पुराना किला ही नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जिसे रहस्यमयी और भूतिया कहानियों के लिए जाना जाता है। जयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित यह किला पर्यटकों को अपनी भव्यता और डरावनी कहानियों के कारण आकर्षित करता है। भानगढ़ का किला राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है और यह जयपुर और दिल्ली के बीच में पड़ता है। इस किले का इतिहास 17वीं शताब्दी का है, जब इसे आमेर के महान मुगल सेनापति राजा मानसिंह के छोटे भाई राजा माधव सिंह ने बनवाया था। आखिर भानगढ़ का पूरा इतिहास क्या है ? क्यों इसे लोग भूतिया किला कहते हैं ? आइए जानते हैं इसकी पूरी कहानी-
भानगढ़ का इतिहास
भानगढ़ का किला 1631 में बनवाया गया था। यह किला अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित है, जो इसे और भी खूबसूरत बना देता है। इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में राजा माधव सिंह ने कराया था, जो कि आमेर के राजा मानसिंह के छोटे भाई थे। एक समय था जब भानगढ़ में 9000 से भी ज्यादा घर हुआ करते थे, लेकिन अब यहां सिर्फ खंडहर बचे हैं। समय के साथ, इस किले को लेकर कई रहस्यमयी और भूतिया कहानियां भी जुड़ गई हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।
भानगढ़ किले का रहस्य और भूतिया कहानियां
भानगढ़ किला केवल अपने इतिहास के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी भूतिया कहानियों के लिए भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सूरज ढलने के बाद इस किले में प्रवेश करना मना है, क्योंकि यहां पर असामान्य गतिविधियां होती हैं। कई लोगों का मानना है कि किले में रात के समय आत्माओं की आवाजें सुनाई देती हैं। यह भी कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति रात में इस किले में गया, वह सुबह वापस नहीं लौट पाया।
साधु के श्राप की कहानी
भानगढ़ किले की भूतिया कहानियों में से एक प्रमुख कहानी एक साधु बाबा बलाऊ नाथ से जुड़ी है। कहा जाता है कि जिस स्थान पर भानगढ़ का किला बना है, वह भूमि इस साधु की थी। राजा माधव सिंह ने उनसे इस भूमि पर किला बनाने की अनुमति ली थी, लेकिन साधु ने एक शर्त रखी थी कि किले या उसके भीतर की कोई भी इमारत उनके घर से ऊंची नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा हुआ, तो यह किला नष्ट हो जाएगा। राजा माधव सिंह ने इस शर्त का पालन किया, लेकिन उनके पोते अजब सिंह ने किले की ऊंचाई बढ़ा दी, जिससे साधु का श्राप सच हो गया और किला धीरे-धीरे तबाह हो गया।
राजकुमारी रत्नावती की कहानी
एक और लोकप्रिय कहानी राजकुमारी रत्नावती से जुड़ी है, जो भानगढ़ की एक अत्यंत सुंदर राजकुमारी थीं। उनके सौंदर्य की चर्चा दूर-दूर तक थी, और एक जादूगर उन पर मोहित हो गया। उसने एक दिन राजकुमारी को बाजार में देखा और उनकी पसंद का इत्र प्रेम औषधि से बदल दिया। लेकिन राजकुमारी ने उसकी चाल समझ ली और वह इत्र पास के एक पत्थर पर फेंक दिया, जिससे वह पत्थर जादूगर की ओर लुढ़क गया और उसे कुचलकर मार डाला। मरते वक्त जादूगर ने श्राप दिया कि भानगढ़ का किला और उसका पूरा शहर नष्ट हो जाएगा। इसके बाद मुगलों ने भानगढ़ पर हमला किया, और किले के सभी निवासियों को मार दिया, जिसमें राजकुमारी रत्नावती भी शामिल थीं।
भानगढ़ का भूतिया अनुभव
लोगों का मानना है कि किले के पास की दीवारों के करीब कान लगाने पर अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। इसके अलावा, कुछ लोगों ने किले के अंदर औरतों के चूड़ियां तोड़ने, चिल्लाने, और रोने की आवाजें भी सुनी हैं। यहां दिन के समय भी लोग यह महसूस करते हैं कि कोई उनका पीछा कर रहा है। यही कारण है कि किले के आसपास के लोग शाम ढलने के बाद यहां जाने से बचते हैं।
भानगढ़ कैसे पहुंचें?
अगर आप इस रहस्यमयी किले को खुद देखना चाहते हैं, तो जयपुर से करीब 80 किलोमीटर की दूरी तय करके यहां पहुंच सकते हैं। जयपुर से भानगढ़ के लिए बसें और टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं। यहां पर देश के प्रमुख शहरों से सीधी बसें भी मिल जाती हैं। किले का दौरा आप सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक कर सकते हैं, लेकिन सूरज ढलने के बाद यहां जाने की अनुमति नहीं होती है ।
अगर आप रहस्यों और भूतिया कहानियों में दिलचस्पी रखते हैं, तो भानगढ़ किला आपके लिए एक रोमांचक यात्रा हो सकती है।