उत्तरप्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है,चुनावी माहौल में पार्टियों और नेताओं की राजनीति और रणनीति के बीच विकास से कोसों दूर बुनियादी जरूरतों के लिए जूझती जनता है। कानपुर नगर जिले के बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र के गाँव देविन पुरवा में जनता इस बार वोट बहिष्कार की बात पर अड़ी है। इसके पीछे तर्क यह है की वोट केवल विकास के नाम पर क्यों दें? आजादी के 70 साल बाद भी यहाँ के लोग सड़क,बिजली,पानी के लिये तरस रहे हैं।यहाँ की सड़के देखने पर लगता है की गाँव तक आते आते योजनाएं दम तोड़ देती है। लोग गड्ढों को पार करके अहसास कर लेते है कि शायद इसके नीचे सड़क नाम की कोई चीज है। इनके दर्द के 70 साल किस तरह बीते होंगे यह अंदाजा लगाना मुश्किल है । इस बीच प्रदेश में कई सरकारें बदली। क्षेत्र में कई प्रत्याशी बदले लेकिन नहीं बदली तो इस गांव की तस्वीर और ग्राम वासियों की तकदीर।
बिल्हौर विधान सभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी की अरुणा कोरी विधायक हैं। विधायिका जी पांच सालों में केवल एक या दो बार इस गांव में पहुँची और लोगों को गाँव की तस्वीर बदलने का आश्वासन भी दिया लेकिन हालात जस के तस हैं। अब विधानसभा चुनाव 2017 में विधायिका जी का विधानसभा क्षेत्र बदल रसूलाबाद हो गया है।ऐसे में वह अब रसूलाबाद में इन्ही झूठे आश्वासनों और सपनों का सौदा करने निकल पड़ी हैं।
आज देश में डिजिटल इंडिया और स्वच्छ भारत के नारे बुलंद किये जा रहे हैं, उत्तरप्रदेश में समाजवादी सरकार विकास और काम बोलता है जैसे नारों के साथ चुनावी मैदान में है। वोट देने के लिए लोग जागरूक हो सकें इसके लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच यूपी की औद्योगिक नगरी और चमड़े के सामानों के लिए मशहूर कानपुर के एक गाँव की ये कहानी विकास की बदहाली को बयां कर रही है। बुनियादी सुविधाओं से वंचित देविन पुरवा जैसे कई गाँव सरकार के विकास के दावों की पोल खोल रहे हैं।