उत्तरप्रदेश चुनावों के दौरान बीजेपी द्वारा उठाये गए मुद्दों में अवैध बूचड़खानों का मुद्दा सबसे बड़ा था। प्रदेश में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद प्रदेश बागडोर अब आदित्यनाथ योगी के हाथ में है। इसके साथ ही अवैध बूचड़खानों पर कारवाई शुरू हो गई है। योगी के कार्यभार संभालने के तीन दिनों के अन्दर अब तक प्रशासन ने राज्य के अलग अलह हिस्सों में ऐसे अवैध बूचड़खानों को सील करने का काम शुरू कर दिया है। इस तरह की पहली कारवाई इलाहाबाद में हुई। इसके बाद हुई अब तक की सबसे बड़ी करवाई में गाज़ियाबाद में 15 अवैध बूचड़खानों को बंद कर सील कर दिया गया है।
आ रही ख़बरों के मुताबिक मंगलवार को गाजियाबाद में 15 अवैध बूचड़खानों को बंद कर दिया। पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कैला भट्टा इलाके के दर्जनभर अवैध बूचड़खानों को बंद करवा दिया। ये सभी बूचड़खाने अवैध रूप से चल रहे थे। बूचड़खाने बंद होने से इनसे जुड़े लोग बेरोजगार हो गए हैं। प्रशासन ने संभावित हंगामे को देखते हुए इस दौरान भारी सुरक्षा बल तैनात किया था। गाज़ियाबाद और इलाहाबाद के अलावा प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक,आगरा में दो और आजमगढ़ में तीन अवैध बूचड़खानों को बंद करा दिया गया है।
गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने शहरी क्षेत्रों यानी निकाय सीमा क्षेत्रों में बूचड़खाने चलाने पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि बूचड़खाने वहीं चलेंगे जहां इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगा होगा। आगरा को छोड़ दिया जाए तो अन्य किसी भी शहर के बूचड़खानों में ईटीपी नहीं लगा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस संबंध में एनजीटी को शपथ पत्र भी दे चुका है कि शहरी क्षेत्र में अवैध रूप से कोई भी बूचड़खाना नहीं चल रहा है।
प्रदेश में सत्ता बदलते ही प्रशासन के तेवर भी बदलते नज़र आ रहे हैं। कत्लखानों का बंद होना इस बात की गवाही भी दे रहा है। पहले भी कानून और प्रशासन यही थे लेकिन कारवाई अब शुरू हुई है। योगी एक गौ भक्त हैं वह गोरखपुर में जहाँ रहते हैं वहां 350 गायों की देख रेख वह खुद करते थे। चुनावी सभाओं और अपने भाषणों में भी योगी अवैध बूचड़खानों को बंद करने की बात करते रहे हैं। ऐसे में योगी के रुख को भांपते हुए प्रशासन ने अपनी कारवाई शुरू कर दी है। इस कारवाई में बीजेपी ‘संकल्प पत्र’ की घोषणा तो पूरी होती दिख रही है लेकिन इससे सैकड़ों लोगों के बेरोजगार होने का खतरा बना हुआ है। साथ ही राज्य के सभी वैध-अवैध बूचड़खानों के बंद होने से राजस्व में करीब 11,500 करोड़ रुपये का नुकसान भी होगा। ऐसे में सरकार इससे कैसे निपटेगी यह एक अहम् मुद्दा होगा।