कोरोना संक्रमण (Corona Infection) को लेकर आई हालिया रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों को कोरोना का गंभीर संक्रमण नहीं था और अस्पताल में भर्ती नहीं हुए, उन्हें एक साल बाद हार्ट अटैक (Heart Attack) और घातक रक्त के थक्के होने का खतरा हो सकता है। हृदय रोग और स्ट्रोक पहले से ही दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारण हैं। अध्ययन के अनुसार, कोविड से बचे लोगों में घातक हृदय जटिलताओं के बढ़ने की संभावना है, जिनकी संख्या विश्व स्तर पर करोड़ों में है। ये बातें नेचर जर्नल ने अपने रिपोर्ट में कही है।
कोविड लंबा प्रभाव डालेगा, विनाशकारी परिणाम होंगे
मिसौरी में वेटरन्स अफेयर्स सेंट लुइस हेल्थ केयर सिस्टम (Veterans Affairs St. Louis Health Care System) में नैदानिक महामारी विज्ञान केंद्र के निदेशक ज़ियाद अल-एली ने कहा कि सरकारों और स्वास्थ्य प्रणालियों को इस वास्तविकता के प्रति जागरूक रहना चाहिए कोविड लंबा प्रभाव डालेगा और इसके विनाशकारी परिणाम होंगे। मुझे चिंता है कि हम इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड के ठीक होने के पहले 12 महीनों में दिल का दौरा, स्ट्रोक या अन्य प्रमुख हृदय संबंधी समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने 151,195 लोगों को शोध में शामिल कर के यह निष्कर्ष निकाला।
कोविड रोगियों में हार्ट अटैक की संभावना 39% तक बढ़ जाती है
उन्होंने पाया कि कोविड रोगियों में हार्ट अटैक की संभावना 39% तक बढ़ जाती है और संभावित घातक रक्त के थक्के 2.2 गुना तक होने का जोखिम होता है, किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में जिसमें कोरोना का अधिक संक्रमण था।शोधकर्ता अभी भी कोविड रोगियों में हृदय की क्षति के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। संभावित तंत्रों में हृदय-मांसपेशियों की कोशिकाओं के प्रत्यक्ष वायरल आक्रमण, रक्त वाहिकाओं, रक्त के थक्कों और असामान्य और लगातार सूजन वाली कोशिकाओं से होने वाली क्षति शामिल है।
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