Brain Fog के लक्षणों को ना करें नजरअंदाज, हो सकती है गंभीर मानसिक समस्या

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BRIAN FOG
ब्रेन फॉग एक ऐसी दिमागी स्थिति है, जिसमें भ्रम, विस्मृति, और ध्यान की कमी जैसी मानसिक समस्या होने लगती है। यह अधिक काम करने, नींद की कमी, तनाव और कंप्यूटर पर बहुत अधिक समय बिताने के कारण हो सकता है। ब्रेन फॉग में आपका मूड, ऊर्जा और फोकस प्रभावित होते हैं।

ब्रेन फॉग (Brain Fog) एक ऐसी दिमागी स्थिति है, जिसमें भ्रम, विस्मृति, और ध्यान की कमी जैसी मानसिक समस्या (Mental Problem) होने लगती है। यह अधिक काम करने, नींद की कमी, तनाव और कंप्यूटर पर बहुत अधिक समय बिताने के कारण हो सकता है। ब्रेन फॉग में आपका मूड, ऊर्जा और फोकस प्रभावित होते हैं। हार्मोन का असंतुलित स्तर पूरे सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, ब्रेन फॉग के कारण मोटापा, असामान्य मासिक धर्म (Abnormal Menstruation) और मधुमेह मेलिटस (Diabetes Mellitus) जैसी समस्या भी हो सकती है।

इन कारणों से हो सकता है ब्रेन फॉग

खराब लाइफस्टाइल के कारण ब्रेन फॉग जैसी समस्या हो सकती है, खराब लाइफस्टाइल हार्मोनल असंतुलन को बढ़ाती है, जिससे तनाव बढ़ जाता है। इसके अलावा, कंप्यूटर, मोबाइल फोन, टैबलेट के अधिक इश्तेमाल से भी ये समस्या हो सकती है।

तनाव से हो सकता है ब्रेन फॉग

वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि पुराना तनाव रक्तचाप को बढ़ा सकता है, याददाश्त और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने लगता है और अवसाद को ट्रिगर कर सकता है। इससे मानसिक थकान भी हो सकती है। जब आपको ब्रेन फॉग की समस्या होती है तो सोचना, तर्क करना और ध्यान केंद्रित करना कठिन हो जाता है।

नींद की कमी के कारण

नींद की खराब गुणवत्ता भी आपके मस्तिष्क के काम करने में बाधा डाल सकती है और आगे चल कर ब्रेन फॉग जैसी समस्या हो सकती है । प्रति रात 8 से 9 घंटे सोने का लक्ष्य रखें। बहुत कम सोने से एकाग्रता प्रभावित होती है।

हार्मोनल परिवर्तन के कारण

हार्मोनल परिवर्तन भी ब्रेन फॉग को ट्रिगर कर सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में वृद्धि होती है। यह परिवर्तन स्मृति को प्रभावित कर सकती है। इसी तरह महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट के कारण भूलने की बीमारी, खराब एकाग्रता और धुंधली सोच हो सकती है।

आहार के कारण भी हो सकता है ब्रेन फॉग

ब्रेन फॉग आहार के कारण भी हो सकता है, विटामिन बी -12 स्वस्थ मस्तिष्क के लिए जरूरी होता है, इसकी कमी ब्रेन फॉग का कारण बन सकती है। यदि आपको कुछ तरह के खान पान से एलर्जी है, तो ये ब्रेन फॉग विकसित कर सकते हैं। आम तौर पर कुछ लोगों में मूंगफली और डेयरी प्रोडक्ट्स से एलर्जी होती है।

दवा से भी हो सकता है ब्रेन फॉग

यदि आपको किसी दवा को लेने से ब्रेन फॉग जैसा लक्षण महसूस होता है तो अपने डॉक्टर से बात करें। अपनी खुराक कम करने या किसी अन्य दवा पर स्विच करने से आपके लक्षणों में सुधार हो सकता है। वहीं कैंसर के इलाज के बाद ब्रेन फॉग भी हो सकता है। इसे कीमो ब्रेन कहा जाता है।

इन बीमारियों में ब्रेन फॉग होने की संभावना बढ़ जाती है

ब्रेन फॉग कई बीमारियों जैसे रक्ताल्पता, डिप्रेशन, मधुमेह, सिरदर्द, अल्जाइमर रोग, हाइपोथायरायडिज्म
ऑटोइम्यून रोग जैसे ल्यूपस, गठिया और मल्टीपल स्केलेरोसिस के रोगियों में होने की संभावना ज्यादा होती है। हाइपोथायरायडिज्म वाले किसी व्यक्ति के बालों के झड़ने, शुष्क त्वचा, वजन बढ़ने या भंगुर नाखून के साथ ब्रेन फॉग हो सकता है।

इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज

याददाश्त की समस्या, मानसिक स्पष्टता में कमी, कमज़ोर एकाग्रता, ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता, असामान्य ग्लूकोज स्तर, खराब लीवर, किडनी और थायराइड फंक्शन, पोषक तत्वों की कमी, संक्रमण, सूजन संबंधी समस्या महसूस होने पर डॉ. से संपर्क करें। परिणामों के आधार पर आपका डॉक्टर तय करेगा कि आगे की जांच करनी है या नहीं। एक्स-रे, एमआरआई, या सीटी स्कैन की सहायता से समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता है।

क्या है इसका इलाज

ब्रेन फॉग उपचार कारण पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, यदि आप एनीमिक हैं, तो आयरन सप्लीमेंट आपके लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ा सकता है और आपके मस्तिष्क कोहरे को कम कर सकता है। यदि आपको एक ऑटोइम्यून बीमारी है, तो आपका डॉक्टर कॉर्टिकोस्टेरॉइड या अन्य दवा की सेवन के लिए कह सकता है। कभी-कभी, ब्रेन फॉग खान पान में सुधार करने से या दवाओं को बदलने से ठीक हो जाता है।

कोरोना मरीजों में भी ब्रेन फॉग

कुछ रिपोर्स्ल के मुताबिक पोस्ट कोविड कई लोगों में ब्रेन फॉग जैसी समस्या बढ़ी है। कोरोना के कारण लोगों के मस्तिष्क पर भी असर पड़ा है, 30 फीसद मरीजों में न्यूरो से संबंधित लक्षण देखे गए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह कई मरीजों में कोरोना से ठीक होने के बाद तीन से छह माह तक रह सकता है, बाद में यह धीरे-धीरे ठीक होगा। बता दें कि कोरोना संक्रमण के कारण आक्सीजन की कमी होने से हाइपोक्सिया होता है। इस वजह से मस्तिष्क में भी आक्सीजन की कमी होती है। इससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है और कार्यक्षमता प्रभावित होती है। कुछ मरीजों के मस्तिष्क में ब्लड क्लाट की समस्या भी हो सकती है। स्ट्रोक और मस्तिष्क के अंदर सूजन (ब्रेन इंसेफेलाइटिस) के मामले भी आ रहे हैं।

(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह लें। APN इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।)

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