भारत में वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को कानूनी तौर पर अपराध घोषित करने की मांग काफी समय से हो रही है। जेएस वर्मा की कमेटी ने इसे अपराध की श्रेणी में डालने की सिफारिश भी की थी। पर केंद्र सरकार (Central Government) का कहना है कि अगर इसे कानूनी मान्यता मिल जाएगी तो पत्नियां अपने पति को सताने के लिए इस कानून का आसानी से इस्तेमाल कर सकती हैं। भारत का कानून यह मानने के लिए तैयार है कि किसी भी महिला के साथ जबरन संबंध बनाना अपराध है। जबरन बनाए जा रहे संबंध को महिला ना भी कह सकती है लेकिन सरकार और न्यायालय कानूनी रूप देने को तैयार नहीं है।
विवाह के बाद हवस का शिकार हो रही महिला के लिए अगर कोई कानून नहीं है, सरकार Marital Rape पर कोई दिलचस्पी नहीं ले रही है। कई बार कोर्ट भी कह चुका है कि कानूनी रूप से शादी कर चुके दो लोगों के बीच यौन संबंध बनना भले ही जबरदस्ती की गई हो, रेप नहीं कहा जा सकता।
तो क्या सरकार और कानून ये कहना चाहता है?
विवाह के बाद औरत सिर्फ पुरुष की संपत्ति के रूप में ही देखी जाती है,
पुरुष की इच्छाओं को संतुष्ट करने वाली एक यौन सामग्री ।
जिसमें औरत की सहमति की आवश्यकता मायने ही नहीं रखती।
Marital Rape क्या है?

भारत में वैवाहिक बलात्कार कानून की नजर में अपराध नहीं है। यानी पति अपनी पत्नी के साथ बिना उसकी सहमती के यौन संबंध बनाता है तो वह अपराध नहीं माना जाएगा। यह कह सकते हैं कि कानून और सरकार की नजर में पत्नी अपने पति के लिए महज एक संभोग की वस्तू है जिसे वह अपनी मर्जी के अनुसार इस्तेमाल कर सकता है।
आईपीसी की धारा 375 में बिना महिला की सहमति के बनाए गए सभी यौन संबंधों को बलात्कार कहा गया है। लेकिन आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 में कहा गया है कि 15 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति का यौन संबंध बलात्कार माना जाएगा।
IPC की धारा 375 को Delhi Hingh Court में चुनौती
दिल्ली हाई कोर्ट भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जो एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती संभोग को बलात्कार के अपराध से छूट देता है, बशर्ते पत्नी की उम्र 15 वर्ष से अधिक हो।
याचिकाकर्ताओं में आरआईटी फाउंडेशन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन एसोसिएशन (AIDWA) और वैवाहिक बलात्कार की पीड़िता शामिल हैं। आईपीसी की धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार को अपवाद माने जाने की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। यह उन विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव करती है, जिनका उनके पति यौन उत्पीड़न करते हैं।
Marital Rape 100 से अधिक देशों में अपराध

भारत में महिलाओं के अधिकार को लेकर कई कड़े कानून बनाए गए हैं। महिलाओं के अधिकार को लेकर बड़ी बड़ी बातें भी होती हैं। पर आईपीसी में वैवाहिक बलात्कार के लिए धारा नहीं है। गौर करने वाली बात यह है कि दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में वैवाहिक बलात्कार अपराध माना जाता है। भारत उन 36 देशों में शामिल है, जहां ये अपराध की श्रेणी में नहीं है।
बता दें कि लॉकडॉउन के बाद से देश में Marital Rape की घटनाओं में खासा वृद्धी देखी गई है। वर्क फ्रॉम होम के कारण महिलाएं अपने पतियों की हवस का शिकार बन रही हैं। इसलिए वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की मांग जोरों शोरों पर उठ रही है।
वैवाहिक बलात्कार अपराध नहीं है- High Court Of Chhattisgarh
वैवाहिक बलात्कार पर 26 अगस्त 2021 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा था कि कानूनी रूप से शादी कर चुके दो लोगों के बीच यौन संबंध बनना भले ही जबरदस्ती की गई हो, रेप नहीं कहा जा सकता।
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