उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार (6 जनवरी) को नाबालिग के साथ बलात्कार के मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कहा है कि वह नाबालिगों से बलात्कार के दोषियों के खिलाफ सख्त कानून बनाए। हाईकोर्ट ने कहा की राज्य सरकार तीन महीने में ऐसा कानून बनाए जिसमें 15 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा का प्रावधान हो।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आलोक सिंह और जस्टिस राजीव शर्मा की खंडपीठ ने यह सुझाव करणदीप शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। करनदीप शर्मा को एक नाबालिग लड़की से रेप के आरोप में सत्र न्यायालय द्वारा अप्रैल 2017 में मौत की सजा दी गई थी। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय द्वारा दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई।
क्या था मामला ?
करणदीप शर्मा पर आरोप था कि उसने साल 2016 में रुद्रपुर में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी। जिस लड़की के साथ बलात्कार हुआ वह अपने परिवार के साथ 25 जून 2016 को जागरण देखने गई थी। 26 जून को सुबह लड़की जागरण के बाद घर वापस नहीं लौटी तो FIR लिखाई गई। बाद में लड़की की लाश को एक खेत से बरामद किया गया। मेडिकल जांच के बाद पता चला की लड़की के साथ बलात्कार हुआ है और दम घुटने से उसकी मौत हुई है। मामले की छानबीन के दौरान कई लोगों ने लड़की को करणदीप शर्मा के साथ देखने की पुष्टि की और कई और सबूत के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया गया।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ कहा और नाथू बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले को अपने फैसले का आधार बनाया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त को 14 साल की लड़की के साथ हुए रेप के लिए मौत की सजा सुनाई थी। फैसले के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से ऐसे मामलों में शामिल लोगों को कठोर सजा देने के लिए कानून बनाने की सिफारिश की। अगर राज्य सरकार हाईकोर्ट की इस सिफारिश को मानकर इस पर अमल करती है तो उत्तराखंड, मध्य प्रदेश के बाद दूसरा ऐसा राज्य होगा जहां नाबालिगों के साथ बलात्कार करने पर मौत की सज़ा का प्रावधान किया जाएगा।