देश में लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने को लेकर विधि आयोग ने पहल की है। विधि आयोग ने कहा है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए साथ-साथ चुनाव 2019 से शुरू होकर दो चरणों में हो सकते हैं। आयोग ने संविधान के प्रावधानों में संशोधन की भी बात कही है और संवैधानिक विशेषज्ञों, राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों के इस पर विचार मांगे हैं।
देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने को लेकर लॉ कमीशन ने 17 अप्रैल की बैठक में एक मसौदा तय किया है। इस मसौदे के तहत विभिन्न बिंदुओं पर विचार किया जाएगा और आम जनता और नामचीन लोगों से इस विषय पर सुझाव मांगे जाएंगे लोग आठ मई तक सुझाव दे सकते हैं। विधि आयोग ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए साथ-साथ चुनाव 2019 से शुरू होकर दो चरणों में हो सकता है बशर्ते संविधान के कम से कम दो प्रावधानों का संशोधन और उसकी बहुसंख्यक राज्यों द्वारा पुष्टि की जाए। विधि आयोग ने कहा कि जनप्रतिनिधि कानून के कुछ प्रावधानों का संसद में सामान्य बहुमत से संशोधन भी करना होगा।
मसौदा के अनुसार साथ-साथ चुनाव कराने का दूसरा चरण 2024 में हो सकता है। इसमें कहा गया है कि बहुसंख्यक पार्टी के नेता को सदन (लोकसभा या राज्य विधानसभा) द्वारा प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री चुना जाए जिससे सरकार के साथ ही लोकसभा या विधानसभा की स्थिरता सुनिश्चित हो। मसौदे में कदम को प्रभावी बनाने के लिए राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को विस्तारित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 83 (2) और 172 (1) और जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। इसमें सुझाव दिया गया है कि यदि कोई सरकार बीच में गिर जाती है तो नई सरकार का कार्यकाल सिर्फ बाकी बचे समय के लिए ही होगा।
विधि आयोग के ड्राफ्ट के अनुसार अगले 30 महीने के बीच देश के लगभग 19 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं…और 2019 के बाद लोकसभा चुनाव 2024 में होगा…ऐसे में 6-7 महीने के अंतराल में पड़ने वाले राज्यों के चुनाव एक साथ कराये जा सकते हैं।









