Supreme court: ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर के समीप पुरी हेरिटेज कॉरिडोर के निर्माण का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि अवैध खुदाई के कारण मंदिर को खतरा है।उन्होंने अदालत को बताया कि वहां पुनर्निर्माण की कोई अनुमति नहीं है लेकिन अतिक्रमण के साथ ही निर्माण कार्य भी जारी है।
श्री जगन्नाथ मंदिर में ओडिशा सरकार उत्खनन और निर्माण कार्य करवा रही है। सोमवार को इस मामले का उल्लेख किए जाने पर जस्टिस बीआर गवई और हिमा कोहली की पीठ ने याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार को भी नोटिस जारी करने को कहा, वे श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़े मामले में न्याय मित्र और राज्य के वकील हैं।
ओडिशा के श्री जगन्नाथ मंदिर में उत्खनन और निर्माण कार्य के खिलाफ दायर याचिका पर सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कल अपना फैसला सुनाएगा।

Supreme Court: खुदाई को प्राचीन मंदिर के लिए बताया खतरा

श्री जगन्नाथ मंदिर में ओडिशा सरकार उत्खनन और निर्माण कार्य करवा रही है।शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार को भी नोटिस जारी करने को कहा, वे श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़े मामले में न्याय मित्र और राज्य के वकील हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य की एजेंसियां जिस तरह से काम कर रही हैं, वह प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 का उल्लंघन है।ओडिशा सरकार अनधिकृत तरीके से निर्माण कार्य करवा रही है जोकि प्राचीन मंदिर के लिए खतरा है।इस याचिका पर जल्द सनवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सामने मेंशन भी किया गया था। जिसे कोर्ट ने रजिस्ट्री के पास भेज दिया था।
Supreme court: श्रीमंदिर परिक्रमा प्रोजेक्ट के माध्यम से हो रहा निर्माण
श्रीजगन्नाथ मंदिर के चारों तरफ निर्माण एवं खुदाई कार्य को बंद करने की मांग करने के साथ कुछ दिनों पहले श्रीमंदिर सुरक्षा अभियान ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही थी। सुरक्षा अभियान के संयोजक विनय कुमार भुयां एवं अन्य कार्यकर्ताओं ने कहा था कि महाप्रभु श्री जगन्नाथ ओडिशा के परिचय एवं परम आराध्य हैं। पुरी जगन्नाथ मंदिर पूरे हिन्दू समाज की आस्था है, विश्वास एवं संस्कृति का केन्द्र है।
एक हजार साल से भी पुराने श्रीमंदिर के चारों तरफ सौंदर्यीकरण के लिए राज्य सरकार श्रीमंदिर परिक्रमा प्रोजेक्ट के माध्यम से खुदाई एवं निर्माण कार्य कर रही है। जिसे बंद किया जाए।ये पूर्ण रूप से अवैध है, अनैतिक है तथा अपरिणामदर्शी है।मालूम हो कि इसके रखरखाव तथा सुरक्षा एवं संरक्षण का कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के जिम्मे है।
Supreme Court: पिछले वर्ष एनएमए ने किया था प्रोजेक्ट का डिजाइन
राष्ट्रीय स्मारक अथॉरिटी NMA को भी इस बारे में जानकारी है।याची की ओर से कहा गया कि इस प्रोजेक्ट का डिजाइन NMA ने पिछले साल दिया गया था।जिसके बाद नियमित क्षेत्र में निर्माण शुरू हुआ लेकिन अब यह कार्य निषिद्ध क्षेत्र तक पहुंच गया है।इस कार्य से राष्ट्रीय और ऐतिहासिक व आध्यात्मिक महत्व के इस स्मारक और मंदिर को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
Supreme Court: कोर्ट निर्माण कार्य बंद करने का दे आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने याची से कहा कि आपका कहने का मतलब है कि यह केंद्र सरकार या DG ASI के अलावा किसी और के द्वारा नहीं किया जा सकता है।याचिककर्ता की ओर से कहा गया कि ऐसा करने के लिए केंद्र सरकार या DG ASI को इसका कारण भी बताना होगा।
इसके अलावा यह पुरातत्व कार्यालय द्वारा किया जाना चाहिए था जबकि इस काम को टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि श्री जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा के भीतर निषिद्ध क्षेत्र में अवैध निर्माण किया जा रहा है।
कोर्ट को यहां करवाए जा रहे निर्माण कार्य बंद करने का आदेश देकर इसकी जांच का आदेश जारी करना चाहिए। कोर्ट इस महत्वपूर्ण स्मारक के संरक्षण, सुरक्षा और देखभाल सुनिश्चित करने का भी आदेश जारी करे।
Supreme Court: प्राधिकरण की ओर से कहा गया- निर्माण कार्य निषिद्ध क्षेत्र में नहीं किया जा रहा
जस्टिस गवई ने कहा कि हाईकोर्ट में प्राधिकरण ने कहा है कि निर्माण कार्य निषिद्ध क्षेत्र में नहीं किया जा रहा है।इस पर याचिककर्ता की ओर से कहा गया कि निषिद्ध क्षेत्र में निर्माण बिना समुचित अनुमति के ही चल रहा है। राज्य सरकार की ओर से AG ओडिशा ने बताया कि निर्माण के लिए डायरेक्टर कल्चर ने आवेदन किया जिसे समुचित प्राधिकरण NMA को भेजा गया।
साथ ही उन्होंने DG ASI की रिपोर्ट को भी कोर्ट के सामने पढ़कर बताया और कहा कि याचिकाकर्ता का यह कहना कि ASI कुछ नहीं कर रही है, ये पूरी तरह से गलत है। AG ओडिशा ने कहा कि निर्माण कार्य के लिए अनुमति NMA द्वारा दी गई है। इसमें कोई समस्या नहीं है।
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