Supreme Court: बंद खाते या निष्क्रिय अकांउट में जमा करोड़ों रुपयों को उनके असली हकदारों तक पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।जिसमें कहा गया है कि इन पैसों का इस्तेमाल अलग-अलग नियामक कर रहे हैं। सही लोगों तक इसका लाभ ही नहीं पहुंच रहा है। इस पर शीर्ष अदालत ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीट ने कहा कि यह एक बेहद महत्वपूर्ण मुददा है।
याचिका में वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक, कॉपोरेट मामलों के मंत्रालय और सेबी को निर्देश देने की मांग की गई है। ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि ये पैसा शिक्षा और जागरूकता कोष, शिक्षा और सुरक्षा कोष के माध्यम से सरकार के स्वामित्व वाले फंड में स्थानांतरित हो जाए।बाकायदा लोगों का डाटा लेकर कानूनी वारिसों को इसे लौटा दिया जाए। याचिका सुचिता दलाल की ओर से जारी की गई है।

Supreme Court: निष्क्रिय बैंक खातों की जानकारी जुटाने में बैंक विफल

याचिकाकर्ता ने कहा कि निष्क्रिय बैंक खातों के बारे में पूरी जानकारी जुटाने, कानूनी वारिसों की खोजबीन करने में बैंक पूरी तरह से विफल रहे हैं। क्योंकि अधिकतर नामांकित व्यक्ति मृतक के बैंक खातों से पूरी तरह से अनजान रहते हैं। मृत निवेशकों की जानकारी जिनकी जमा राशि, डिबेंचर, लाभांश, बीमा और डाकनिधि आदि आईईपीएफ की वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध नहीं है। ऐसे में आईईपीएफ ऐसे लोगों की एक लिस्ट जारी करता है। जिनका पैसा वेबसाइट पर फंड में भेजा गया है।
Supreme Court: बिचौलियों को शामिल करने की मजबूरी
लोगों को अपना पैसा पाने के लिए धक्के खाने पड़ते हैं। ऐसे में उन्हें बिचौलियों की सहायता लेनी पड़ती है। यही वजह है कि आईईपीएफ के पास पड़ी राशि 1999 में 400 करोड़ रुपये से शुरू हुई और मार्च 2020 के अंत तक 10 गुना बढ़कर करीब 41, 000 करोड़ रुपये हो गई।
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