केंद्रीय विद्यालयों में गाई जाने वाली प्रार्थना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 जनवरी) को केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्यालय संगठन को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालयों में गाई जाने वाली हिंदी प्रार्थना, हिंदू धर्म को प्रमोट करती है। जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी कर पूछा है कि केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों को हाथ जोड़कर और आंख बंद कर प्रार्थना क्यों कराई जाती है? बेंच ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मामला है। बेंच ने 4 हफ्ते में इस पर जवाब तलब किया है।

सुप्रीम कोर्ट में विनायक शाह ने याचिका लगाई है जिनके बच्चे केंद्रीय विद्यालय में पढ़े हैं। याचिका के मुताबिक देश भर में केंद्रीय विद्यालयों की प्रार्थना में वेद की ऋचाएं शामिल हैं…इसमें संस्कृत के भी कई शब्द हैं। याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के खिलाफ है। सभी धर्म और संप्रदाय के बच्चे स्कूलों मे पढ़ते हैं लेकिन उन सभी को को यह प्रार्थनाएं गानी होती हैं। कानून के मुताबिक राज्यों के फंड से चलने वाले संस्थानों में किसी धर्म विशेष को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता।

दरअसल इस PIL में संविधान के आर्टिकल 92 के तहत ‘रिवाइस्ड एजुकेशन कोड ऑफ केंद्रीय विद्यालय संगठन’ की वैधता को चुनौती दी गई है। आर्टिकल 92 के मुताबिक स्कूल में पढ़ाई की शुरुआत सुबह की प्रार्थना से होगी, सभी बच्चे, टीचर्स और प्रिंसिपल इस प्रार्थना में हिस्सा लेंगे। इस आर्टिकल में केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली सुबह की प्रार्थना की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक, सरकारी स्कूलों में धार्मिक विश्वासों और ज्ञान को प्रचारित करने के बजाय साइंटिफिक टेंपरामेंट यानी वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करना चाहिए।

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