Supreme Court : सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बीते सोमवार को एक रिपोर्ट पेश की गई। एमिकस क्यूरी और सीनियर वकील विजय हंसारिया की ओर से जारी रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है, कि दो वर्ष के अंदर लंबित मामलों में करीब 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस बाबत मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे मामले की सुनवाई पर विचार करेंगे । रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित हैं, जबकि पिछले 2 वर्षों के दौरान विधायकों और सांसदों के खिलाफ 850 से भी ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
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Supreme Court : पांच वर्ष से भी पुराने हैं 1,899 मामले
रिपोर्ट में कहा गया कि दिसंबर 2018 तक सांसदों, विधायकों और विधानपरिषद सदस्यों के खिलाफ कुल लंबित मामले 4,110 थे। अक्टूबर 2020 तक यह बढ़कर 4,859 हो गए। रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े ये बताते हैं कि कुछ विधायक और सांसदों के खिलाफ पिछले पांच वर्ष से भी पुराने 1,899 केस दर्ज हैं।
सीबीआई कोर्ट में 121 केस लंबित
हंसारिया ने कोर्ट को ये भी बताया कि देश भर बने सीबीआई CBI कोर्ट में वर्तमान, पूर्व सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ कुल 121 केस लंबित हैं। आलम ये है कि इसमें से एक तिहाई मामलों पर कार्रवाई बेहद सुस्त रफ्तार से की जा रही है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जो अपराध कई वर्ष पूर्व हुए थे, उन अपराधों के आरोपियों पर लगे दोष अभी तक साबित नहीं हो सके हैं। इन मामलों में से 58 केसों में आजीवन कारावास का प्रावधान है, 37 मामलों की सीबीआई कोर्ट में जांच लंबित है।
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में 51 सांसद और पूर्व सांसद आरोपी
रिपोर्ट में ईडी की रिपोर्ट को जिक्र करते हुए कोर्ट को बताया गया कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत वर्तमान में हालत और खराब है। इसके अनुसार करीब 51 सांसद व पूर्व सांसद आरोपी हैं। हालांकि, वर्तमान और पूर्व सांसदों की संख्या स्पष्ट नहीं है।
वर्ष 2016 में याचिका हुई थी दायर
देश के वर्तमान सांसद, पूर्व सांसद एवं विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों में तेजी लाने के मकसद से
वर्ष 2016 में वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इसी याचिका पर वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि सीबीआई की विशेष अदालत में लंबित 121 केसों में से 45 मामलों के आरोप अभी तक सिद्ध भी नहीं हुए हैं।
हंसारिया ने देरी के मूल्यांकन पर समिति गठन का सुझाव दिया
रिपोर्ट पेश करने के बाद वकील विजय हंसारिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व न्यायाधीश अथवा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन होना चाहिए। समिति सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate, ED) की ओर से वर्तमान और सभी पूर्व विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच और कार्रवाई में हो रही देरी की वजहों का मूल्यांकन कर सके।
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