सुप्रीम कोर्ट ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन पर लगी रोक हटाए जाने का सोमवार को फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ए के सिकरी और न्यायाधीश अशोक भूषण की पीठ ने जंतर-मंतर, बोट क्लब तथा अन्य जगहों पर धरना और प्रदर्शन पर लगी रोक को हटाने का आदेश दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि धरना और प्रदर्शन पर पूरी तरह रोक नहीं लगा सकते। कोर्ट ने रोक हटाने का फैसला सुनाते हुए इस मामले में दिल्ली पुलिस को नई गाइडलाइन बनाने का निर्देश दिया है।

आपको बता दें कि अक्टूबर 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के एक आदेश द्वारा  सेंट्रल दिल्ली के क्षेत्र खासकर जंतर-मंतर पर पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए विरोध-प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई थी। ट्रिब्यूनल ने कहना था कि राज्य का कर्तव्य है कि वो ध्वनि प्रदूषण से जनता को बचाए। ट्रिब्यूनल ने इसकी जगह अजमेरी गेट के रामलीला ग्राउंड को विरोध-प्रदर्शन के लिए विकल्प के रूप में सुझाया था। लेकिन बाद में एनजीटी के इस आदेश को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दायर की गईं।

एनजीटी की ओर से लगाए गए इस रोक के खिलाफ दायर की गई एक याचिका में एडवोकेट प्रशांत भूषण ने दलील दी कि दिल्ली के लुटियन ज़ोन में सत्ता की पूरी शक्ति केंद्रित है। इन जगहों पर प्रदर्शन पर रोक लगाना व्यक्ति के मूल अधिकारों के खिलाफ है क्योंकि इन जगहों पर प्रदर्शन करने से लोगों का और सरकार का ध्यान आसानी से खींचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि  जंतर-मंतर ऐसी जगह है जहां पर पूरे देश की नज़र रहती है।

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