Supreme Court: जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच लंबे समय खींचतान जारी है। वहीं, इस बीच सुप्रीम कोर्ट के लिए पांच न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश के लगभग दो महीने बाद केंद्र ने शनिवार को जजों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सर्वोच्य न्यायालय में पांच नए जजों की नियुक्ति की जानकारी ट्विट पर भी शेयर की।
Supreme Court में जजों की कुल संख्या हुई 32
जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और न्यायापालिक के बीच हाल के दिनों में काफी तनाव देखा गया। लेकिन अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों को नियुक्त कर दिया है। सोमवार को इनके शपथ ग्रहण करने की संभावना है। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले साल दिसंबर में जजों की नियुक्ति करने के लिए इन नामों की केंद्र से सिफारिश की थी। जिन पांच नामों को मंजूरी मिली है, उनमें राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीवी संजय कुमार और इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज मनोज मिश्रा के नाम शामिल हैं।
अब सुप्रीम कोर्ट में कुल जजों की संख्या 32 हो गई है जबकि यहां 34 जजों के पद स्वीकृत है।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने नियुक्त हुए जजों की लिस्ट को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा है “भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार, भारत के माननीय राष्ट्रपति ने उच्च न्यायालयों के निम्नलिखित मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है।मैं उन सभी को शुभकामनाएं देता हूं।”
क्या है विवाद का मामला ?
दरअसल, जजों की नियुक्ति के लिए बनाए गए कॉलेजियम को लेकर केंद्र और न्यायापालिका के बीच तनातनी हाल के दिनों में देखी गई। पिछले दिनों कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र भी लिखा था। पत्र में यह सुझाव दी गई थी “जजों को नियुक्त करने वाले कॉलेजियम की टीम में सरकार के भी प्रतिनिधि को शामिल करना चाहिए। इससे नियुक्ति में पारदर्शिता बढ़ेगी।” आपको बता दें कि पत्र में कहा गया था “सुप्रीम कोर्ट के जजों को नियुक्त करने वाले कॉलेजियम में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि को शामिल किया जाए। वहीं, राज्यों के हाई कोर्ट में जजों को नियुक्त करने वाले कॉलेजियम में उस राज्य सरकार के प्रतिनिधि को शामिल किया जाए।” हालांकि, अभी तक इस पर कोई ठोस निर्णय देखने को नहीं मिला है।
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