Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को निष्क्रांत संपत्ति मामले में अग्रिम जमानत दे दी। न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।
जस्टिस एएस बोपन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने उमर अंसारी की जमानत याचिका पर नोटिस जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।दरअसल लखनऊ जियामऊ में एक महिला से फर्जी तरीके से जमीन हड़पने के मामले मे फरार चल रहे अब्बास अंसारीं ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अग्रिम जमानत देने की मांग की है।
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Supreme Court: हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
Supreme Court: मालूम हो कि उच्च न्यायालय ने 13 अप्रैल को अग्रिम जमानत की मांग करने वाली उमर की याचिका खारिज कर दी थी। न्यायालय ने मुख्तार अंसारी के दूसरे बेटे अब्बास अंसारी की याचिका भी खारिज कर दी थी, जिसमें उसी मामले में आरोप पत्र को रद्द करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने दोनों भाइयों द्वारा स्वतंत्र रूप से दायर की गई दो याचिकाओं पर आदेश पारित किया गया था।
अंसारी भाइयों की ओर से दलील दी गई कि संपत्ति का म्यूटेशन उनके जन्म से पहले उनके पूर्वजों के नाम पर था। इसीए उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है।इस बाबत राज्य के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया था।दोनों पर अपनी दादी के जाली हस्ताक्षर करने का भी आरोप लगाया गया था। उनके खिलाफ स्पष्ट अपराध बनता है।
Supreme Court: जानिए पूरा मामला
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मामले की एफआईआर राजस्व अधिकारी सुरजन लाल ने 27 अगस्त, 2020 को लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि मुख्तार और उनके बेटों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर निष्क्रांत संपत्ति हड़प ली थी।
गौरतलब है कि निष्क्रांत संपत्ति शब्द का इस्तेमाल विभाजन के दौरान पाकिस्तान चले गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। ये आमतौर पर उन लोगों को आवंटित किए जाते हैं, जो उस दौरान पाकिस्तान से भारत चले आए थे।
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