Supreme Court: लखीमपुर कांड मामले को लेकर वकील प्रशांत भूषण ने CJI के सामने कहा कि कोर्ट ने इस मामले पर आज सुनवाई करने के लिए कहा था, लेकिन मामला सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं किया गया। CJI ने कहा कि इस मामले पर 15 मार्च को सुनवाई करेंगे।
प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया, कि कल रात इस मामले के एक मुख्य गवाह पर हमला भी हुआ है। मृतकों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लखीमपुर खीरी मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को मिली जमानत को रद्द करने की मांग की। इलाहाबाद हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए जमानत के फैसले को भी रद्द करने की मांग की गई है।
Supreme Court: कोर्ट से न्याय की आस
प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में इस बात का जिक्र है, कि परिवार के सदस्यों को न्याय की आस है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में विफल रही है। आदेश के गुण-दोष पर याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने जमानत देते समय मिश्रा के खिलाफ बड़े सबूतों पर विचार नहीं किया, क्योंकि उसके खिलाफ चार्जशीट रिकॉर्ड में नहीं लाई गई। हाईकोर्ट ने अपराध की जघन्य प्रकृति, चार्जशीट में आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत, पीड़ित और गवाहों के संदर्भ में आरोपी की स्थिति की संभावना पर विचार किए बिना ही जमानत दी थी।
Supreme Court: 6 माह में रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश
जेल में बंद कैदियों की अमानवीय स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हुआ है।कोर्ट ने इस मामले पर कमिटी को रिपोर्ट जमा करने के लिए 6 महीने का समय दिया है। इसके बाद मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जेल के अंदर कैदियों की अमानवीय स्थिति पर वर्ष 2018 में कमिटी की ओर से जांच के आदेश दिए गए थे। इसके बाद मामले पर केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई कर रहा है।वर्ष 2018 में ही सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में कैदियों की भारी संख्या, कैदियों की अप्राकृतिक मौत, कर्मचारियों की कमी और जेल स्टाफ के प्रशिक्षण को लेकर 12 महीने में रिपार्ट देने को कहा था।
भारत में फार्मा कंपनियों के लिए कानून बनाने की मांग पर केंद्र सरकार को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। डॉक्टरो को गिफ़्ट बांटने वाली फार्मास्युटिकल्स कंपनियों के खिलाफ कानून बनाने की मांग करते हुए एक याचिक सुप्रीम कोर्ट में डाली गई है। डॉक्टरों को मुफ्त और महंगे उपहार देने के लिए फार्मा कंपनियों को भी उत्तरदायी बनाने की भी मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि गिफ्ट लेने वाले डॉक्टरों पर तो कार्रवाई होती है, लेकिन फार्मा कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती, जबकि फार्मा कंपनी अपनी दवा की बिक्री बढ़ाने के लिए डॉक्टरो को उपहार देती है।
कर्मचारियों के वेतन पर सुनवाई नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि अनुछेद 32 के तहत इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता को इस ममाले को संबधित अधिकारी के पास जाने को कहा। वकील गौरव बंसल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था, कि पीलीभीत, दुधवा, अमानगढ़ और कतरनिया घाट टाइगर रिजर्व के लगभग 1200 से ज्यादा कर्मचारियों का वेतन पिछले 11 महीने का वेतन रूका हुआ है। इन वर्करों का वेतन दिया जाए।
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