Supreme Court: SCBA द्वारा सुप्रीम कोर्ट को आवंटित 1.33 एकड़ जमीन को वकीलों के चैंबर ब्लॉक में तब्दील करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। CJI की अध्यक्षता वाली स्पेशल बेंच के सामने SCBA की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान SCBA की तरफ से कहा गया कि वकीलों के भविष्य की बेहतर स्थिति के लिए सुप्रीम कोर्ट इसमें हस्तक्षेप कर सकता है कोर्ट हमारी याचीका पर नोटिस जारी करने पर विचार कर सकता है। इसके लिए हम कोर्ट के आभारी रहेंगे।
SCBA ने दिया दिल्ली हाईकोर्ट का हवाला
CJI ने पूछा कि हम इस मामले में जुडिशल साइड से कैसे कर सकते हैं? वहीं जस्टिस संजय किशन कौल ने भी पूछा कि जुडिशल साइट पर क्या हम और बिल्डिंग्स का अधिग्रहण सकते हैं? उन्होंने कहा कि भले ही यह हो सकता है किएडमिनिस्ट्रेटिव साइट पर हम गवर्नमेंट से इसके लिए कह सकते हैं। वहीं विकास सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसी कई बिल्डिंग का अधिग्रहण किया है। इस पर जस्टिस कॉल ने कहा कि यह एडमिनिस्ट्रेटिव साइड पर लिया गया निर्णय था।
जस्टिस कौल ने कहा कि हम वकीलों की बात समझते हैं लेकिन क्या हम किसी आवंटित जमीन को ऐसे ही ले सकते हैं? उन्होंने कहा हम सभी इसके हितधारक हैं। यह इमारत को एक विशेष समयावधि के लिए बनाई गई थी और अब हम इसे सिर्फ इसलिए बदलना चाहते हैं क्योंकि वर्तमान में इस व्यवस्था में चल पाना संभव नहीं है।

इसमें बदलाव किया जा सकता है: CJI
CJI ने कहा कि कि इस मुद्दे को हम सरकार को बता सकते हैं और एडमिनिस्ट्रेटिव साइड से इसमें बदलाव किया जा सकता है। CJI ने आगे कहा कि वकील हमारी संस्था का हिस्सा हैं और हमें उनकी जरूरत है लेकिन क्या हम वकीलों के लिए इस तरह से अपनी न्यायिक शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करने पर फिर उंगलियां उठेंगी कि हम लाभ के लिए अपनी न्यायिक शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
CJI ने कहा कि सरकार के पास संदेश नहीं जाना चाहिए कि हम उन्हें अपने लाभ के लिए ही काम के लिए मजबूर कर रहे है। उन्होंने कहा कि हम वह सब इसे प्रशासनिक पक्षों पर कर सकते हैं। इकोर्ट्स परियोजनाओं के लिए हमें सरकार से 7000 करोड़ मिले, एक पैसा भी नहीं काटा गया क्योंकि सरकार को लगता है कि न्यायपालिका को उस समय इसकी आवश्यकता है जब अन्य विभागों में कटौती हुई थी।
CJI ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के लिए नए भवन के विचार को तैरने की प्रक्रिया में हैं जो अगले 75 से 100 वर्षों तक चल सकता है और हम चाहते है कि उसमें बार को उचित स्थान मिलना चाहिए। लोक निर्माण विभाग की योजना पहले ही बन चुकी है। इसकी ड्राइंग भी तैयार है। हम निर्माण और भूमिगत पार्किंग आदि की जांच करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट भी गए थे। जस्टिस कौल ने कहा कि हम काम पर हैं लेकिन हमने यह सब प्रशासनिक तरीके से किया जा रहा है। वहीं जस्टिस नरसिम्हन ने भी कहा कि इन विषयों के एडमिनिस्ट्रेटिव साइड अधिक सुचारू रूप से किया जा सकता है।
वहीं अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने भी एडमिनिस्ट्रेटिव साइड के जरिए ही मामले पर आगे बढ़ने की कोर्ट की प्रक्रिया का समर्थन करते हुए कहा कि इसके जरिए मुद्दे का अधिक प्रभावी हल निकाला जा सकता है। हालांकि मामले पर सुनवाई के बाद CJI ने कोई आदेश जारी नहीं किया। यह जरूर कहा कि इस मुद्दे पर आप लोगों की दलीलों पर भी विचार किया जाएगा।
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