उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक स्कूली बच्चे की पिटाई के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। मामले में कोर्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के द्वारा मामले की जांच का निर्देश दिया है। कोर्ट द्वारा कहा गया है कि इसके लिए एक हफ्ते में IPS को नियुक्त किया जाए और उसके द्वारा मामले की जांच रिपोर्ट कोर्ट को दी जाए। जिसमें वह तय करेगा कि जो धाराएं लगाई गई हैं क्या उनके अलावा और भी धाराएं लगाई जानी हैं।
वहीं इस मामले में शामिल सभी बच्चों की काउसलिंग कराने के लिए दो काउसलर तुरंत नियुक्त किए जाने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने कहा पीड़ित बच्चे को किसी दूसरे स्कूल में पढ़ाई के लिए दाखिला दिलाया जाए। कोर्ट ने कहा कि राज्य RTE के तहत बच्चों की पढ़ाई को सुनिश्चित करे । कोर्ट ने NCPCR की गाइडलाइंस पर एक रिपोर्ट पेश करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिया। इसके अलावा तीन हफ्ते में राज्य सरकार को बच्चे की पढ़ाई, काउसलिंग, जांच से जुड़ी सभी जानकारी कोर्ट को देने के लिए कहा है। मामले में शिक्षा विभाग के सचिव को रिपोर्ट देनी होगी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले मे यूपी सरकार से मामले की जांच और चार्जशीट दाखिल करने के समय के बारे में पूछा? यूपी सरकार की तरफ से कहा गया कि मामले में 6 सितंबर को FIR दर्ज की गई है। अगली सुनवाई 30 अक्तूबर को तय की गई है।
दरअसल आज कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या गवाहों को सुरक्षा दी गई है? कोर्ट ने कहा कि यह मामला मूल अधिकारों का भी हनन है। कोर्ट ने कहा RTE ACT के तहत राज्य सरकार पीड़ित बच्चे को क्वालिटी एजुकेशन मुहैया कराए। कोर्ट ने कहा कि अगर आरोप सही है कि टीचर के कहने पर बच्चों ने उस लड़के को मारा, तो यह किस तरह का एजुकेशन सिस्टम है ?
कोर्ट ने यूपी सरकार की FIR पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि पीड़ित छात्र के पिता के बयान के बावजूद कि धर्म की वजह से बच्चे को पीटा गया इसके बावजूद FIR में इस बात का ज़िक्र नहीं है। कोर्ट ने अवैध तरीके से स्कूल चलाने पर भी सवाल खड़ा किया।
दरअसल उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर में एक छात्र को थप्पड़ मारने और विवादित टिप्पणी करने के मामले में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की ओर से दायर याचिका दाखिल कर मामले में FIR दर्ज कर टाइम बाउंड मैनर में जांच सुनिश्चित करने की मांग की गई है।