हिन्दू धर्म में शादी करने वाली पारसी महिला को पिता के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने की इजाज़त मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट में वलसाड पारसी पंचायत की तरफ से बताया गया कि पंचायत ने यह फैसला किया है कि दूसरे धर्म में शादी करने वाली पारसी महिला को पिता की मृत्यु पर प्रार्थना के लिए टेंपल ऑफ साइलेंस जाने की इजाज़त दी जाएगी।
दरअसल पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वलसाड पारसी अंजुमन ट्रस्ट को कहा था कि वह कठोर ना बने और पारसी धर्म से बाहर शादी करने करने वाली पारसी महिला को पिता की मृत्यू पर प्रार्थना के लिए टेंपल ऑफ साइलेंस जाने की इजाजत देने पर विचार करें। CJI दीपक मिश्रा ने ट्रस्ट को कहा था कि कठोरता, धर्म के सिद्धांत को समझने के लिए हमेशा सही नहीं होती। कोर्ट ने कहा था कि महिला प्रार्थना के लिए जाना चाहती है। इसके लिए याचिका क्यों ? कोर्ट ने ट्रस्ट से कहा था कि वह अगली सुनवाई में मामले पर अपना रुख कोर्ट को बताए।
क्या था मामला ?
गुल रुख गुप्ता नाम की महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पिता के अंतिम सस्कार में भाग लेने की मांग की थी। गुल रुख ने हिंदू धर्म में शादी की है जिस वजह से उसे वलसाड पारसी बोर्ड ने पिता के अंतिम संस्कार में भाग लेने की अनुमति नहीं दी थी। गुल रुख गुप्ता ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा 2010 में सही ठहराए गए उस पारंपरिक कानून को चुनौती दी है जिसके के चलते अगर कोई पारसी महिला हिन्दू पुरुष से शादी करती है तो वह पारसी समुदाय में अपनी धार्मिक पहचान खो देती है।
पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, अशोक भूषण, डीवाई चंद्रचूड़ और एएम खानविलकर की बेंच ने कहा था कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो यह कहता हो कि महिला किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने के बाद अपनी मूल धार्मिक पहचान खो देती है। विशेष विवाह कानून यह कहता है कि दो अलग-अलग धर्म के लोग शादी कर सकते हैं और अपनी-अपनी धार्मिक पहचान बनाए रख सकते हैं। हालांकि पारसी ट्रस्ट की दलील थी कि यह स्पेशल मैरिज एक्ट का मामला नहीं है बल्कि यह पारसी पर्सनल लॉ है और यह करीब 35 सौ साल पुरानी प्रथा है।