राज्यसभा सांसद के तौर पर शरद यादव की सदस्यता बर्खास्त किये जाने के मामले में गुरुवार(14 दिसंबर) को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई टल गई। मामले की सुनवाई करने वाली बेंच के ना बैठेने के कारण सुनवाई टली। अब कल दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा। वरिष्ठ नेता शरद यादव ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचीका दाखिल कर उनकी राज्यसभा की सदस्‍यता को तत्‍काल प्रभाव से रद्द किये जाने के फैसले को चुनोती दी है। शरद यादव ने अपनी याचीका में कहा है कि विजय माल्या को भी जब राज्यसभा से बर्खास्त किया गया था तो पहले यह मामला विचार के लिए प्रिविलेज कमेटी और एथिक्स कमेटी के पास भेजा गया था। लेकिन उनके मामले में यह प्रक्रिया नही अपनाई गई।

दरअसल 4 दिसंबर को राज्‍यसभा के सभापति ने शरद यादव की सदन की सदस्‍यता को तत्‍काल प्रभाव से रद्द कर दिया था। जेडीयू के ही एक अन्‍य बागी नेता अनवर अली की सदस्‍यता भी खत्‍म कर दी गई थी। राज्‍यसभा में जेडीयू के नेता आरसीपी सिंह की याचिका पर यह आदेश आया था। राज्यसभा सचिवालय के अनुसार संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा 2 (1) (a) के अनुसार दोनों नेताओं की सदस्यता रद्द की गई है।

गौरतलब है कि जेडीयू अध्‍यक्ष नीतीश कुमार ने नवंबर में राज्यसभा के सभापति के सामने इन दोनों नेताओं के पार्टी विरोधी कामों के कारण उनकी सदस्यता को रद्द कराने का प्रस्ताव रखा था। अगस्‍त में ही जेडीयू ने शरद यादव को राज्‍यसभा में पार्टी के नेता के पद से हटा दिया था और उनकी जगह आरसीपी सिंह को नेता बनाया गया था। नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद से ही शरद यादव उनसे नाराज़ चल रहे थे। पार्टी नेताओं के खिलाफ जाकर उन्‍होंने राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव की ‘बीजेपी भगाओ देश बचाओ’ रैली में हिस्‍सा लिया था और उसके मंच से नीतीश कुमार पर निशाना भी साधा था।

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