Supreme Court ने किसान आंदोलन को खालिस्तान से जोड़ने वाले Kangana Ranaut के बयान के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने मामले में याचिकाकर्ता चरणजीत सिंह से कहा कि लोग सिख और खालिस्तानी का फर्क समझते है। आप इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट आने की बजाय दूसरे कानूनी विकल्प अपना सकते हैं। अदालत से मांग की गयी थी कि उनसे सोशल मीडिया पोस्ट को सेंसर कर दिया जाए।
Kangana Ranaut पर भावना भड़काने का लगा था आरोप
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका के मुताबिक कंगना के भड़काऊ ट्वीट्स सिखों की भावनाओं को आहत करने वाले है। उनके द्वारा किए गए ट्वीट में सिखों की छवि को राष्ट्रविरोधी साबित करने की कोशिश की गई है।
इसलिए अगर रनौत कोई पोस्ट करती है तो उसे सरकार की अनुमति के बाद ही उनके ट्विटर हैंडिल पर डाला जाए।
इसके अलावा याचिककर्ता ने इस मामले से जुड़े जो भी FIR दर्ज की गई है उन सभी को महाराष्ट्र ट्रांसफर कर 6 महीने में चार्जशीट फ़ाइल करने और 2 साल में ट्रायल पूरा करने की मांग की थी।
Kangana Ranaut ने क्या कहा था?
अभिनेत्री कंगना ने सरकार की ओर से कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद अपने बयान में लिखा था कि, ‘खालिस्तानी आतंकवादियों ने भले ही आज सरकार की बांह मरोड़ दी हो लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि एक महिला प्रधानमंत्री ने इन्हें कुचल दिया था। चाहे इसकी वजह से देश को कितना भी कष्ट क्यों न हुआ हो।’
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