सुप्रीम कोर्ट की पटखों पर जारी गाइडलाइन बीजेपी को नहीं भा रही है। बीजेपी नेता सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार कर 10 बजे के बाद ही पटाखे जलाने के लिए कह रहे हैं और अपनी पंरपराओं के लिए जेल भी जाने को तैयार है। जहां एक तरफ बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि धार्मिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता ने तो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन मानने से ही मना कर दिया है।
कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि इस तरह के निर्देशों का पालन प्रशासन भी नहीं करा पाता है, मध्यरात्रि में पूजा होती है इसलिए पटाखे फोड़ने की परंपरा भी है। वहीं दूसरी ओर उज्जैन से सांसद और मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता चिंतामणि मालवीय ने विवादित बयान दिया है। उनका कहना है कि दीवाली पर पटाखों को लेकर किसी गाइडलाइन का पालन नहीं करेंगे। चिंतामणि मालवीय ने इसे लेकर फेसबुक पर एक विवादित पोस्ट भी लिखी है।
अपने फेसबुक पोस्ट में मालवीय ने लिखा, ”अपनी दीवाली अपने परंपरागत तरीके से मनाऊंगा और रात में लक्ष्मी पूजन के बाद 10 बजे के बाद ही पटाखे जलाऊंगा। हमारी हिन्दू परंपरा में किसी की भी दखलंदाजी में हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकता। मेरी धार्मिक परम्पराओं के लिए यदि मुझे जेल भी जाना पड़े तो मैं खुशी खुशी जेल भी जाऊंगा।”
#NEWS: तेज आवाज वाले पटाखों की बिक्री पर रोक, रात 8 से 10 बजे तक ही जलेंगे पटाखे, कम प्रदूषण वाले पटाखों की ही होगी बिक्री, लाइसेंस वाले दुकानदार ही पटाखों की करेंगे बिक्री: #SupremeCourt #पटाखे #FIRECRACKERBAN #Diwali2018 #FIRECRACKER #firecrackers pic.twitter.com/tERHpy9vcV
— APN न्यूज़ हिंदी (@apnlivehindi) October 23, 2018
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री, उत्पादन और जलाने पर रोक तो नहीं लगाई लेकिन कड़ी शर्तें जरूर लगाई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ग्रीन पटाखे (कम प्रदूषण वाले पटाखे) बनाने की अनुमति दी जाए। सिर्फ लाइसेंस धारक ही बेचे। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट ने पटाखे जलाने का समय भी निर्धारित कर दिया है. रात आठ बजे से रात 10 बजे तक ही पटाखे जलाए जा सकते हैं, नए साल और क्रिसमस पर 11 :55 PM से 12 :15 AM तक पटाखे चला सकेंगे। कोर्ट ने देशभर में प्रशासन को आदेश दिया कि लगातार पटाखा बनाने की फैक्ट्री में जांच की जाए कि हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल न हो।